नई दिल्ली, NOI :- यूक्रेन पर हमले के बाद अमेरिका और यूरोपीय देशों ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं। इन प्रतिबंधों में अमेरिका द्वारा रूसी तेल आयात बंद करना भी शामिल है। सिर्फ इतना ही नहीं, अमेरिका द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से अन्य कई देशों पर भी रूसी तेल आयात बंद करने के लिए दबाव बनाते देखा गया है। उसने रूस को ग्लोबल पेमेंट सिस्टम Swift से भी बाहर कर दिया है। लेकिन, इसके बावजूद खुद को 'सुपरपावर' मानने वाला अमेरिका अब भारत के आगे 'हेल्प लेस' महसूस कर सकता है, क्योंकि रूस से तेल लेने के लिए भारत नए भुगतान तंत्र की तलाश कर रहा है।

समाचार एजेंसी पीटीआइ ने सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट किया कि 'भारत अब रूस से तेल आयात करने के लिए रुपया-रूबल भुगतान के बारे में विचार कर रहा है।' ऐसा इसीलिए हो रहा है क्योंकि रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों से स्थानीय मुद्राओं में भुगतान तंत्र का दायरा, चल रहे व्यापार को बनाए रखने के साधन से बढ़कर द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने सहित गहन जुड़ाव की संभावनाओं तक विस्तारित हो गया है। सूत्रों ने कहा, "हमने सुना है कि यूरोप द्वारा रूबल भुगतान किया जा रहा है। भारत में पहले रुपया-रूबल भुगतान स्ट्रक्चर था। मुझे नहीं लगता कि हम अभी तक किसी निर्णय पर पहुंचे हैं। कुछ चर्चा हो रही है।"

आयात-निर्यात के लिए रुपया-रूबल भुगतान से संबंधित कोई भी भुगतान तंत्र पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर लगाए गए व्यापक आर्थिक प्रतिबंधों के बावजूद व्यापार में मदद करेगा। इससे उन प्रतिबंधों का बचते हुए व्यापार हो सकेगा, जिसमें क्रेमलिन के कई प्रमुख अधिकारियों के व्यक्तिगत खातों को फ्रीज करना और अंतरराष्ट्रीय भुगतान गेटवे स्विफ्ट से रूसी बैंकों को हटाना शामिल है। सूत्रों ने कहा, "हमारे पास पहले से ही एक तंत्र है। हमें यह देखना होगा कि मौजूदा वैश्विक स्थिति में मौजूदा व्यवस्था काम करने योग्य है या नहीं। हम इसके बारे में और कुछ अन्य संबंधित चीजों की खोज कर रहे हैं।"

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