डिजिटल युग में सिनेमाघर लुप्त, कभी अच्छे सिनेमाघरों में होती थी कैलाश की गिनती, आज छाई वीरानी
लुधियाना NOI :- पुराने वक्त में सिनेमा ही मनोरंजन का मुख्य साधन होता था। 60 के दशक में लुधियाना शहर सीमित दायरे में था और अधिकतर आबादी रेलवे लाइन के पार घंटाघर की तरफ ही बसी थी। तब सिविल लाइन इलाका सुनसान था, लेकिन बदलते वक्त के साथ रेलवे लाइन के इस तरफ भी लोगों ने संपत्ति की खरीद शुरू की और आबादी बढ़ने लगी। तब सिविल लाइन इलाके में कोई सिनेमा घर नहीं था और लोग पुराने शहर के सिनेमाघरों में ही फिल्में देखने के लिए जाते थे।
जब सिविल लाइन साइड में आबादी बढ़ी तो सिनेमा हाल की जरूरत भी महसूस हुई, नतीजतन वर्ष 1954 में सेशन चौक के पास कैलाश सिनेमा बनाया गया। लोगों के लिए सिविल लाइन साइड में कैलाश सिनेमा मनोरंजन का मुख्य साधन बन गया। एक समय था जब यहां फिल्म देखने के शौकीनों की लंबी लाइनें लगती थीं, लेकिन डिजिटल युग और मनोरंजन के अन्य साधन आने के चलते सिनेमा का कांसेप्ट पुराना पड़ गया और कैलाश सिनेमा बंद हो गया।
नाम-ए-खास बीते कुछ दशकों में लुधियाना में काफी परिवर्तन हुआ है। कई जगहों के नाम वहां पर आसपास की दुकानों व सिनेमा के नाम पर पड़े। समय के साथ वे दुकानें और सिनेमाघर तो बंद हो गए, लेकिन जगह का वहीं नाम आज भी बरकरार है। इन्हीं में से एक है कैलाश सिनेमा चौक..
उसकी इमारत को भी पांच साल पहले गिरा दिया गया। अब लोग यह भूल गए हैं कि यहां कभी सिनेमा होता था, लेकिन आज भी इस जगह की पहचान कैलाश सिनेमा चौक के नाम से ही है। साफ है कि सिनेमा ने अपना वजूद खो दिया, लेकिन नाम आज भी जिंदा है। कैलाश सिनेमा चौक में पांच सड़कें आकर मिलती हैं। पुराने शहर से दोमोरिया पुल से एक सड़क कैलाश सिनेमा चौक आती है, जबकि एक सड़क वृंदावन रोड वाली यहां आकर मिलती है।
इसके इलावा एक सेशन चौक की सड़क भी यहां से जाती है और एक सड़क डीआईजी आफिस की तरफ से भी बीचों बीच यहां पहुंचती है। साफ है कि यह शहर का खासकर सिविल लाइन इलाके का प्रमुख चौक है। लुधियाना में दंडी स्वामी मंदिर, हंबड़ा रोड, न्यू कुंदनपुरी, दोमोरिया पुल, सेशन चौक, वृंदावन रोड इत्यादि इलाकों में जाने के लिए इसी चौक को उपयोग किया जाता है। अच्छे सिनेमाघरों में होती थी कैलाश की गिनती
कैलाश सिनेमा आज नहीं है, लेकिन इलाके का नाम उसी के नाम से प्रख्यात है। मैं कई सालों से इस इलाके में दुकान चला रहा हूं। इस दौरान काफी बदलाव देखने को मिला है। सिविल लाइन इलाके में पहले केवल कैलाश ही एकमात्र सिनेमा था। पुराने शहर से भी बड़ी संख्या में लोग यहां फिल्म देखने आते थे। कैलाश सिनेमा शहर के अच्छे सिनेमा घरों में माना जाता था। जब हाॅल में फिल्म चलती थी तो उसके डायलाग एवं गाने सुनते थे। वह वक्त भी काफी बेहतर था, न कोई तनाव था और न ही भागदौड़। - इंद्रपाल सिंह, बावा हाउसॉ
पुराने शहर में जाने के लिए प्रमुख रास्ता था आज कैलाश सिनेमा का वजूद नहीं है, लेकिन आज भी उसका नाम प्रख्यात है। कैलाश सिनेमा चौक शहर के प्रमुख चौक में शुमार है। मैं पिछले 44 साल से यहां पर दुकान कर रहा हूं। कभी दूर दूर से लोग कैलाश सिनेमा में फिल्म देखने आते हैं। पुराने शहर में जाने के लिए यह कभी प्रमुख रास्ता था। हालांकि अब कई नए रास्ते, फ्लाईओवर बन गए हैं, लेकिन कैलाश चौक का महत्व कम नहीं हुआ है। - नरिंदर सिंह, गुरु नानक जनरल स्टोर
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