बिलासपुर (कांगड़ा ) NOI :- पठानकोट रेलवे फिरोजपुर मंडल का कायाकल्प आज तक नहीं हो पाया है। इस पठानकोट जोगेंद्रनगर नैरोगेज रेललाइन की तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया। जिसे राज्य धरोहर भी घोषित किया गया है और इसकी हालत बद से बदत्तर होती चली गईं। अच्छे से अच्छे मंत्री आए और वर्तमान में भी अश्वनी बैश्नब रेल मंत्री हैं। जिनको कारपोरेट का अच्छा अनुभव है। भाजपा के शासन में भी लगातार आठ साल हो चुके हैं। लेकिन इस रेल लाइन में सुधार तथा इसे ब्राड गेज रेल लाइन में कन्वर्ट करने की किसी ने नहीं सोची, बहुत से प्रोजेक्ट पूरे देश में चल रहे हैं, हिमाचल प्रदेश का बहुत सारा हिस्सा इस रेल लाइन की सेवा के ऊपर निर्भर करता है, गिनती की गाडियां चलाई जाती हैं पहली बारिश पड़ती है बरसात की तो गाड़ियां बंद कर दी जाती हैं। समय सारणी में उथल पुथल रहती हैं तो यह किसकी जिम्मेदारी है।
लोगों का काम था जमीन देने का बाकी तो रेलवे प्रशासन और सरकार को करना था, क्यों विकसित नहीं किया गया इस रेल लाइन को, क्यों इसकी तरफ आज तक किसी का ध्यान नहीं गया, हालत समक्ष हैं यदि यह कहें कि पर्यटन की दृष्टि से यह रेल लाइन कितनी महत्वपूर्ण है इसका अंदाजा आपको होगा, राक कट टेंपल महज 12 किलोमीटर है। नगरोटासूरियां स्टेशन, बाकी बाथू की लड़ी, पोंग डैम, जवाली स्टेशन से पास है, ऐतिहासिक गांव हरिपुर, गुलेर स्टेशन के नजदीक, रानीताल से ज्वालाजी, बगलामुखी पास, लेकिन नार्दन रेलवे ने कभी भी इस रेल लाइन की तरफ ध्यान देना उचित नहीं समझा। लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहें हैं, नागरिक इसमें क्या कर सकते हैं, और भी हिल स्टेशन हैं जहां 12 महीने गाड़ियां चलती हैं वो भी बिना रोक टोक के दौड़ती हैं।
यह कहना है वुद्धिजीवी सतीश कुमार का सतीश कुमार का कहना है कि कोई मनुष्य दिल्ली मेट्रो, बैंगलोर मेट्रो , मुंबई , राजस्थान, कोलकाता, आसाम, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, और अन्य प्रदेशों, और विदेश में ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड के रेलवे नेटवर्क को देखे तो इस पर्यटन प्रदेश की रेल लाइन की दयनीय हालत जैसी कहीं देखने को नहीं मिलेगी। पर्यटन की भरपूर संभावनाएं होने के बावजूद इसकी तरफ ध्यान नहीं देना बिलकुल अनुचित है। कैप्टन ज्ञान चंद, कैप्टन कुलदीप चंद, पूर्व सैनिक बंसी लाल मेहर सिंह बग्गा का फिलहाल सुझाव यह है कि जितनी ट्रेन पठानकोट से जोगिंदर नगर चलती हैं तुरंत फुल कैपेसिटी से चलाई जाएं और पूरा साल चलती रहनी चाहिए,इसके अलावा ब्राड गेज में इसे कन्वर्ट करने के लिए तुरंत प्रावधान किया जाए, लोगों को अच्छी सुविधा उपलब्ध कराई जाए, इससे भी दुर्गम क्षेत्रों में भी जहां 12 महीने रेल चलती है क्योंकि वहां पर रेलवे प्रशासन निकम्मा नहीं है। यहां तो एक बारिश पड़ जाए तो बता दिया जाता है कि ट्रेन बंद हैं, बारिश है पुल टूटने वाला है। अब बताया गया है कि 15 जुलाई को चंडीगढ़ मीटिंग में नार्दन रेलवे मीटिंग में सतीश कुमार द्वारा सुझाए विषयों पर चर्चा करेंगी और उचित परिणाम आएंगे, लोगों को सुविधाओं से वंचित रखना अच्छी बात नहीं है।

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