इंदौर NOI :-  इंदौर के हवा बांग्ला रोड पर स्थित मंशापूर्ण महादेव मंदिर भोले के भक्‍तों के बीच आस्था का केंद्र है। सावन के महीने सहित पूरे साल कई अवसरों पर शिव की पूजा करने की विभिन्न रस्में होती हैं। इनमें पश्चिमी क्षेत्र से बड़ी संख्या में भक्‍त भाग लेते हैं। मंदिर की विशेषता 40 गुणा 70 वर्ग फुट में बना मंशापूर्ण महादेव मंदिर इंदौर का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां ढाई फुट के स्फटिक (crystal) शिवलिंग की पूजा की जाती है। यहां महादेव के साथ एक नए ग्रह की भी स्थापना हो रखी है। इस शिवलिंग स्तंभ को गुजरात से लाकर ब्रह्मलीन घनश्यामदास महाराज की इच्छा के अनुसार स्थापित किया गया था।
यहां लगाए गए बेल के पत्ते, गूलर, रुद्राक्ष,पीपल, बरगद और नीम के पेड़ इस जगह को खास बनाते हैं। इसके साथ ही राम-जानकी, राधा-कृष्ण के दर्शन भी होते हैं। महंत घनश्याम संस्कृत महाविद्यालय के छात्र साल भर यहां महामृत्युंजय का पाठ करते हैं। हर मनोकामना होती है पूर्ण ऐसी मान्‍यता है कि स्फटिक एक रत्न है जो समुद्र से निकला है। इस सिद्ध रत्न की शिव के रूप में पूजा करने से हर मनोकामना पूर्ण होती है। मां सरस्वती के हाथों में भी स्फटिक की माला है। भक्त अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए यहां पूजा-अनुष्ठान में शामिल होते हैं और 7, 11 और 21 दिनों तक ओम नमः शिवाय महामंत्र का जाप करते हैं।
इस बार सावन के महीने में वेदपति बटुकों द्वारा महामृत्युंजय जाप और लक्षार्चन किया जा रहा है। इसके साथ ही वैदिक विद्वानों के साथ-साथ मातृशक्तियों द्वारा प्रतिदिन पार्थिव शिवलिंग का निर्माण एवं पूजन किया जा रहा है। सावन में अलग-अलग जगहों पर पौधरोपण भी किया जाएगा। सावन में किया जाता है खास अनुष्‍ठान मंदिर के महंत शुकदेवदास महाराज ने बताया कि इस स्थान का निर्माण ब्रह्मलीन घनश्यामदास महाराज की प्रेरणा से किया गया है। स्फटिक शिवलिंग की पूजा का विशेष महत्व है। सावन और शिवरात्रि पर यहां विशेष अनुष्ठान होते हैं। मंदिर शहर की सीमा में होने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों से भी श्रद्धालु आते हैं।

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