सेंट्रल बैंक आफ इंडिया के 11 लाकर तोड़कर सवा चार करोड़ के जेवर चोरी में खुला बड़ा राज, चार्जशीट में खुला असल मास्टर माइंड का नाम
कानपुर NOI :- सेंट्रल बैंक आफ इंडिया की कराचीखाना शाखा से दर्जन भर बैंक लाकर तोड़कर करोड़ों के जेवर चोरी करने के चर्चित मामले में पुलिस ने अदालत में चार्जशीट दाखिल कर दी है। पुलिस की जांच के मुताबिक बैंक लाकर से जेवरों की चोरी की साजिश का मास्टर माइंड लाकर इंचार्ज शुभम मालवीय था। बैंक मैनेजर भी साजिश का बराबर का हिस्सेदार था। 14 मार्च, 2022 को श्यामनगर निवासी मंजू भट्टाचार्य सेंट्रल बैंक आफ इंडिया की कराचीखाना खाना शाखा में अपना लाकर खोलने पहुंचीं तो लाकर का ताला ही नहीं खुला। दूसरे दिन जब लाकर तोड़कर देखा तो उसमें अंदर रखे लाखों के जेवरात गायब थे। कुछ दिनों तक बैंक प्रशासन पीड़ित को टहलाता रहा, लेकिन मामला पुलिस तक पहुंचा और मुकदमा दर्ज होने पर किस्सा सार्वजनिक हुआ।इसके बाद शाखा में लाकर खोलकर देखने वालों की भीड़ लग गई। एक के बाद एक दस और मामले प्रकाश में आए। कुल मिलाकर 11 बैंक लाकरों को तोड़कर उनमें रखे करीब सवा चार करोड़ रुपये के जेवरात चोरी होने की बात सामने आई। काफी दिनों बाद 12वां पीड़ित भी सामने आया, लेकिन पुलिस ने उसे जांच का हिस्सा नहीं बनाया। देश के इतिहास में पहली घटना रही, जिसमें बैंक ने पीड़ितों को 2.64 करोड़ रुपये मुआवजा दिया था। पुलिस ने उस समय देश भर में सुर्खियों में रहे मामले की जांच शुरू की तो पता चला कि इसमें बैंक मैनेजर व लाकर इंचार्ज ही शामिल हैं। इन्होंने निष्प्रयोज्य लाकर तोड़े जाने की आड़ में 12 ऐसे लाकर तोड़ दिए जो निष्प्रयोज्य नहीं थे। आरोपित बैंक मैनेजर राम प्रसाद व लाकर इंचार्ज शुभम मालवीय के कहने पर इस साजिश में लाकर मेंटीनेंस करने वाली कंपनी के कर्मचारी चंद्रप्रकाश और उसके तीन साथी करन राज, राकेश व राजेश भी शामिल थे। पुलिस ने इन सभी छह को गिरफ्तार कर जेल भेजा था, जो अभी जेल में ही हैं।लाकर इंचार्ज का था आइडिया, डेढ़ किलो सोना बरामद पुलिस की ओर से अदालत में दाखिल चार्जशीट में पूरी घटना के लिए लाकर इंचार्ज शुभम मालवीय को मास्टर माइंड बताया गया है। पुलिस के मुताबिक निष्प्रयोज्य लाकर तोड़े जाने के दौरान सक्रिय लाकर तोड़ देने का आइडिया शुभम का ही था। पुलिस ने शुभम के पूर्व के स्थानों में तैनाती स्थलों पर भी जांच की सिफारिश की है। शुभम के काम में बैंक मैनेजर ने पूरा सहयोग दिया, जिसकी एवज में उसे मोटी रकम मिली। लाकर कंपनी के लोगों को इस काम में शामिल करने की भूमिका भी शुभम मालवीय ने ही तैयार की थी। आरोपितों की निशानदेही पर करीब डेढ़ किलो सोना बरामद किया गया था।पहली घटना, जिसमें बैंक ने पीड़ितों को दिया था मुआवजा देश के इतिहास में यह पहली घटना थी, जब बैंक ने पीड़ित लाकर धारकों को मुआवजा दिया। पहले जब कभी ऐसे मामले सामने आए तो बैंक प्रबंधन की ओर से कोई मुआवजा नहीं दिया गया। इस मामले में बैंक कर्मचारी शामिल थे, इसलिए सेंट्रल बैंक की विश्वसनीयता खतरे में पड़ गई थी। बैंक प्रबंधन ने पीड़ित लाकर धारकों कुल दो करोड़, 64 लाख, 50 हजार रुपये मुआवजा दिया था। पीड़ित शकुंतला देवी, पंकज गुप्ता, मंजू भट्टाचार्य, निर्मला तहिलियानी, सुशीला देवी, राजा बेटी गुप्ता, अमिता गुप्ता को 25-25 लाख रुपये, सीता गुप्ता को 17.5 लाख, मीना यादव 50 लाख, वैभव महेश्वरी को 20 लाख, महेंद्र सविता को दो लाख रुपये का मुआवजा दिया।
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