भरमाड़ के शिब्बोथान मंदिर में मेले शुरू, तिलक राज ने झंडा चढ़ाकर किया शुभारंभ
NOI :- उपमंडल जवाली के भरमाड़ गांव में स्थित सिद्धपीठ शिब्बोथान मंदिर में सावन के मेले शुरू हो गए हैं। दो महीने तक चलने वाले इन मेलों में हजारों श्रद्धालु अपनी हाजिरी भरेंगे। सावन माह की संक्रांति को मंदिर के महंत तिलक राज ने झंडा चढ़ाकर मेले का विधिवत शुभारंभ किया। मंदिर परिसर के बाहर दुकानें भी सज गई हैं और लोग माथा टेकने के बाद दुकानों में खरीदारी भी कर रहे हैं, वहीं बच्चों के मनोरंजन के लिए झूले भी लगाए गए है। गौरतलब है कि देवभूमि हिमाचल की पावन स्थली भरमाड़ को सिद्ध संप्रदाय गद्दी, सिद्ध बाबा शिब्बोथान और सर्व व्याधि विनाशन के रूप में भी जाना जाता है।महंत श्रीवैद्यराज तिलक राज ने बताया की इस स्थान पर बाबा शिब्बो को जहरवीर जी ने वरदान दिए थे। मंदिर के महंत राम प्रकाश ने बताया कि बाबा शिब्बोथान कलियुग में भगवान शिव के अवतार माने जाते हैं। कहा जाता है कि 600 वर्ष पूर्व भरमाड़ के निकट सिद्धपुरघाड़ के आलमदेव के घर में शिब्बू नामक बालक ने जन्म लिया। बाबा शिब्बो जन्म से अपंग थे। उन्होंने जाहरवीर गूगा जी की दो वर्षों तक घने जंगलों में तपस्या की। उनकी इस तपस्या से प्रसन्न होकर जाहरवीर गुग्गा पीर ने बाबा शिब्बो को तीन वरदान दिए। प्रथम वरदान में उन्होंने कहा कि यह स्थान आज से शिब्बोथान नाम से प्रसिद्ध होगा।दूसरे वरदान में उन्होंने कहा कि तुम नागों के सिद्ध कहलाओगे और इस स्थान से सर्पदंशित व्यक्ति पूर्ण रूप से ठीक होकर जाएगा। तुम्हारे कुल का कोई भी बच्चा अगर यहां पानी की तीन चुलियां जहर से पीड़ित व्यक्ति को पिला देगा तो पीड़ित व्यक्ति जहर से मुक्ति पाएगा और स्वस्थ हो जाएगा। तीसरे और अंतिम वर में उन्होंने कहा कि जिस स्थान पर बैठकर तुमने तपस्या की है, उस स्थान की मिट्टी जहरयुक्त स्थान पर लगाने से विदेश में बैठा व्यक्ति भी जहर से मुक्ति पाएगा। आस्था है कि बाबा जी का भगारा घरों में छिड़कने से घर में सांप, बिच्छू या अन्य घातक जीव-जंतु प्रवेश नहीं करते हैं।
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