नई दिल्‍ली NOI :- हरियाणा में अवैध खनन के लिए काफी हद तक सरकारी सिस्टम ही जिम्मेदार है। भिवानी के डाडम की पहाड़ियों में अवैध खनन के बाद भी सरकारी सिस्टम ने हादसे से सबक नहीं लिया। अगर रेत, मौरंग, बदरपुर, गिट्टी या बोल्डर की राज्य में आवश्यकता के अनुसार खत्म हो और उसी के परिमाण में खनन के पट्टे जारी किए जाएं तो अवैध खनन की नौबत ही नहीं आएगी। अवैध खनन रोकने को 20 हजार से अधिक केस हुए दर्ज, लेकिन चलता रहा गोरखधंधदिल्ली के नजदीक गुरुग्राम, फरीदाबाद और नूंह जिला क्षेत्र की अरावली पर्वतमाला में 2009 से खनन पर पूरी तरह प्रतिबंध है। फरीदाबाद में सबसे पहले छह मई 2002 को प्रतिबंध लगा था। इसके बाद गुरुग्राम में दिसंबर 2002 को और नूंह जिले में 2009 में पूरी तरह खनन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। प्रतिबंध के बावजूद अवैध खनन किसी न किसी रूप में होता रहा। अवैध खनन रोकने के लिए 20 हजार से अधिक मामले प्रदेश भर में दर्ज हैं, मगर इससे भी अधिक जगह अवैध खनन होता रहा है। दरअसल वैध खनन पर राेक के बाद अवैध खनन के दरवाजे खुले।फारेस्‍ट सर्वे आफ इंडिया के सेटेलाइट सर्वे में अवैध खनन की हुई पुष्टि फारेस्ट सर्वेे आफ इंडिया के सेटेलाइट सर्वे में इन अवैध खनन की पुष्टि होती रही है। फरीदाबाद, नूंह और गुरुग्राम में अवैध खनन रोकने के लिए हरियाणा सरकार ने छह मार्च 2021 को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर तीनों जिलों के 2100 हेक्टेयर क्षेत्र में खनन की अनुमति मांगी थी, मगर अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं हुआ है।फरीदाबाद के 600 और गुरुग्राम के अरावली के 1500 हेक्‍टेयर क्षेत्र में पत्‍थर व खनिज खनन संभव हरियाणा खनन विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में खनन की अनुमति मांगते समय जो तर्क दिए थे, उनमें सबसे बड़ा तर्क यह था कि फरीदाबाद में 600 और नूंह व गुरुग्राम में अरावली का 1500 हेक्टेयर ऐसा क्षेत्र है, जो गैर वानिकी कार्य के लिए चिन्हित है। इस क्षेत्र के पत्थर व खनिज का खदान किया जा सकता है। इसके लिए हरियाणा सरकार ने यह भी तर्क दिया कि नूंह जिले से लगते राजस्थान के अलवर व भरतपुर जिले के अरावली के गैर वानिकी क्षेत्र में खनन कार्य खुला है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कोई निर्णय नहीं दिया है।अवैध खनन रोकने के प्रति सरकार ने कभी नहीं दिखाई गंभीरता सेवानिवृत्त वन अधिकारी आरपी बालवान का कहना है कि अरावली क्षेत्र में अवैध खनन रोकने के लिए सरकार ने कभी भी गंभीरता नहीं दिखाई। सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी ने लगातार इस बाबत सरकारों को निर्देश दिए। 2002 में लगे प्रतिबंध के बावजूद फरीदाबाद और गुरुग्राम में अरावली क्षेत्र में अनेक अवैध फार्म हाऊस बन गए।नूंह में 2009 के बाद भी लगातार हो रहा है खनन नूंह में 2009 के बाद भी खनन लगातार हो रहा है। इसके अनेक तथ्य फारेस्ट सर्वे आफ इंडिया के सेटेलाइट सर्वे में कई बार मिले हैं। इसके अलावा जो एफआइआर हुई हैं, उनको देखकर यह कहा जा सकता है कि कभी कभार कोई सुरेंद्र सिंह बिश्‍नोई डीएसपी जैसा ईमानदार अधिकारी ही इन अवैध खनन करने वालों के रास्ते में आ खड़ा होता है। बाकी तो सब मिलीभगत से चल रहा है। आरपी बालवान कहते हैं कि जब प्रतिबंध है तो इसे खोलने की मांग सुप्रीम कोर्ट में रखकर सरकार यहां के ग्रामीणों में आस क्यों जगाती है।सरकार ने खनन के लिए सुप्रीम कोर्ट से मांगी अनुमति: मूलचंद शर्मा '' सरकार ने नूंह, गुरुग्राम और फरीदाबाद से लगते अरावली के 2100 हेक्टेयर क्षेत्र में गत वर्ष ही खनन की अनुमति सुप्रीम कोर्ट से मांगी थी। अभी तक यह अनुमति नहीं मिली है। 2009 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सरकार ने खनन पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया हुआ है। नूंह जिला में पिछले दो वर्षों में अवैध खनन करने वालों पर सरकार ने हर तरह से सख्ती की है। नूंह में डीएसपी की मौत की घटना बहुत दुखद है। सरकार दोषियों को सख्त सजा दिलवाएगी।

0 Comments

Leave A Comment

Don’t worry ! Your email address will not be published. Required fields are marked (*).

Get Newsletter

Advertisement