NOI  :-  तावडू जिला नूंह में मंगलवार को खनन माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई करते हुए शहीद हुए सांरगपुर निवासी डीएसपी शहीद सुरेंद्र सिंह का अंतिम संस्कार वीरवार को उनकी पैतृक भूमि सांरगपुर में किया जा रहा है। मगर लगातार हो रही बारिश से दिक्‍कत हो गई है। हर जगह पानी भर गया है। खेत में ढ़ाणी में एक एकड़ जमीन में व्यवस्था कर टैंट लगाया था, उसमें पानी ढाई फीट तक भर गया और वहीं पर अंतिम संस्कार होना था। मगर पानी भरने से अब पंचायत समिति की श्मशान भूमि में अंतिम संस्कार हो सकता है।स्कूल में श्रंद्धाजलि वाली जगह पर भी पानी भर गया है। सेवानिवृत प्रिंसिपल शहीद के भाई मक्खन लाल मांझू ने बताया कि शहीद सुरेंद्र की बेटी प्रियंका व दामाद हिसार पहुंच चुके हैं। सुरेंद्र बिश्‍नोई का पार्थिव शरीर उनके गांव पहुंच चुका है और डीसी, एसपी से लेकर भारी संख्‍या में प्रशासन मौजूद है।बेटा सिद्धार्थ मंगलवार देर तक पहुंच जाएगा, उसके पश्चात ही शहीद सुरेंद्र सिंह का अंतिम संस्कार गांव सारंगपुर के भाणा रोड़ पर उनके पैतृक आवास पर आज वीरवार को प्रात दस बजे किया जाना था मगर बारिश से देर हो गई।बेटा सिद्धार्थ मंगलवार देर तक पहुंच जाएगा, उसके पश्चात ही शहीद सुरेंद्र सिंह का अंतिम संस्कार गांव सारंगपुर के भाणा रोड़ पर उनके पैतृक आवास पर आज वीरवार को प्रात दस बजे किया जाना था मगर बारिश से देर हो गई।राजकीय सम्मान के साथ होगा अंतिम संस्कार शहीद सुरेंद्र के भतीजे सुनील मांझू ने बताया कि प्रशासनिक अधिकारियों व पुलिस के आला अधिकारियों की मौजूदगी में शहीद सुरेंद्र सिंह की अंतिम विदाई पूरे राजकीय सम्मान के साथ की जाएगी।प्रशासनिक अधिकारियों सहित पुलिस के आला अधिकारी करेंगे शिरकत जानकारी देते हुए शहीद सुरेंद्र के भतीजे सुनील मांझू ने बताया कि अंतिम संस्कार में जिले के प्रशासनिक अधिकारियों सहित पुलिस के आला अधिकारी शहीद डीएसपी सुरेंद्र सिंह को अंतिम विदाई देने के लिए पंहुचे हैं। बारिश के चलते वे एडीजी भी देरी से पहुंचे।कुलदीप बिश्नोई सहित अन्य नेता पंहुचे शहीद डीएसपी के पारिवारिक सदस्य होने के नाते आदमपुर के विधायक कुलदीप बिश्नोई,फतेहाबाद के विधायक दूडाराम बिश्नोई सहित अन्य प्रतिष्ठित जनों सहित आसपास के हजारों लोग शहीद को अंतिम विदाई देने पंहुचे हैं।बिश्नोई समाज के रीति-रिवाज के अनुसार होगा अंतिम संस्कार शहीद के भाई एवं पूर्व प्रिंसिपल मक्खन लाल ने बताया कि शहीद डीएसपी को उनकी पैतृक भूमि पर मिट्टी दी जाएगी। बिश्नोई समाज में मृतक को दफनाया जाता है, जिसे कि सामाजिक रीति अनुसार मिट्टी देना कहा जाता है। बिश्नोई समाज का नियम है कि व्यक्ति की मौत के बाद उसे उसकी जमीन में ही मिट्टी दी जाती है। गुरु जंभेश्वर महाराज की नियमों के अनुसार वन संरक्षण और वन्य जीव संरक्षण करना। इसी कारण बिश्नोई समाज के लोग किसी परिजन की मृत्यु हो जाने पर उसके शव को जलाते नहीं हैं बल्कि शव को मिट्टी दी जाती है। इसके पीछे तर्क है कि इससे पर्यावरण की संरक्षणता बनी रहती है।बलिदानियों सेनानियों की भूमि रही है सारंगपुर 1760 में सारंग मांझू द्वारा बसाया गए सांरगपुर की धरती ने अनेक स्वतंत्रता सेनानियों, वीरों, राष्ट्रप्रेमियों, बलिदानियों की जननी रही है। सारंगपुर का इतिहास गौरवमयी रहा है जो बलिदान एवं वीरता से परिपूर्ण है।भारी संख्‍या में पहुंचे लोग, गूंज रहे भारत माता की जय के नारे अंतिम विदाई देने के लिए लोग भारी संख्‍या में पहुंचे हैं। मौसम खराब होने के बावजूद आस पास के गांवों के लोग भी पहुंचे हैं। भारत माता की जय के नारे गूंज रहे हैं और सभी की आंखे नम हैं।देश के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर करने वाले अमर शहीदों व सेनानियों का विवरणकारगिल युद्ध में शहीद - शहीद मदन सिंह राजपूत सेवानिवृत सुबेदार - मेहरचंद काकड़ कैप्टन भारतीय सेना - शिवराज काकड़ डा. भारतीय सेना - मनीराम सेवानिवृत सैनिक - रामकुमार खिचड़ सेवानिवृत सैनिक - आत्माराम खिचड़ सेवानिवृत सैनिक - मक्खन सिंह खिचड़ सेवानिवृत सैनिक - होशियार सिंह भारतीय सेना - खुमाना राम भारतीय सेना - माडू राम

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