Sidhu Moosewala Murder: कुख्यात गैंगस्टरों के फ्रेंचाइजी के रूप में काम करते हैं स्थानीय गैंगस्टर
गैंगस्टर का नाम लेकर वसूली करते हैं: दिलचस्प यह भी है कि इन गैंगस्टरों को अपने गैंग में बदमाशों को शामिल कराने के लिए कुछ अधिक जुगाड़ भी नहीं करना पड़ता। किसी भी नगर में आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त युवा जैसे ही दो चार अपराधों में नामजद होते हैं, गैंग के लोग उनकी सहायता करना आरंभ कर देते हैं। उन्हें हथियार उपलब्ध कराते हैं। वे छुटभइये बदमाश एक तरह से अपने इलाके में गैंग के फ्रेंचाइजी हो जाते हैं। गैंगस्टर का नाम लेकर वसूली करते हैं। कोई इन्कार करता है तो अपहरण कर फिरौती मांगते हैं। हत्या कर देते हैं। गैंगस्टर उन्हें संरक्षण देता है। जब कभी गैंगस्टर को आवश्यकता होती है, किसी को निशाना बनाता होता है तो उसकी गैंग के ये फ्रेंचाइजी गैंगस्टर के निर्देशों के अनुसार आपराधिक वारदातों को अंजाम देते हैं।
अन्य प्रदेशों के गैंगस्टर अपना नेटवर्क चलाने लगे: पानीपत में रहने वाले एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी के अनुसार यह परंपरा पूर्वी उत्तर प्रदेश से आरंभ हुई और वहां से बिहार पहुंची। उत्तर प्रदेश में तो कई गैंगस्टर राजनीति में आ गए। उन्होंने अपराधिक प्रवृत्ति के युवाओं को अपनी गैंग से जोड़ा। श्रीप्रकाश शुक्ला, मुन्ना बजरंगी आदि ऐसे कई नाम हैं। कई गैंगस्टरों का आपराधिक क्षेत्र बिहार और उत्तर प्रदेश दोनों प्रदेशों में था। बाद में पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब होते हुए राजस्थान महाराष्ट्र और अन्य प्रदेशों के गैंगस्टर इसी राह पर अपना नेटवर्क चलाने लगे।
लारेंस गैंग उन्हें अपने लिए सबसे मुफीद लगा: हरियाणा के युवा आपराधिक गतिविधियों से दूर रहते थे। लेकिन पंजाब में गैंगस्टरों और गन कल्चर का क्रेज बढ़ा तो पंजाब की सीमा से लगते हरियाणा के जिलों के आपराधिक प्रवृत्ति के युवा भी उनसे प्रभावित हुए। लारेंस गैंग उन्हें अपने लिए सबसे मुफीद लगा। अब इस गैंग से जुड़े बदमाश दिल्ली से लेकर पूरे देश में फैले हुए हैं।
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