NOI :-  7 सितंबर 1887 को रोहतक के छोटे से गांव तेलंगा में हरिप्रसाद मिश्र और बरजी देवी के यहां एक पुत्र का जन्म हुआ जिसका नाम रखा गया नेकीराम। इन्होंने प्रारंभिक शिक्षा अपने पितामह पृथ्वीराज से ली जो संस्कृत के मूर्धन्य विद्वान थे। तत्पश्चात उच्च शिक्षा के लिए इन्होंने क्वींस कॉलेज काशी में प्रवेश लिया। अंग्रेजों की नीति-रीतियों का विरोध करने के लिए ये लोकमान्य तिलक के स्वराज संघ के सदस्य बन गए और सन 1918 में होमरूल आंदोलन में सक्रिय होने के कारण नेकीराम को गिरफ्तार कर लिया गया।
डा. शमीम शर्मा, वरिष्ठ साहित्यकार ने बताया कि नेकीराम स्वदेशी और स्वराज्य के लिए अपने स्तर पर आमजन को जागरूक करने में तल्लीन थे। अंग्रेजी सरकार विरोधी उत्तेजक भाषणों के कारण इन्हें 8 नवंबर 1921 को गिरफ्तार कर 8 महीने की सजा के लिए केंद्रीय जेल लाहौर में भेज दिया गया और उसके पश्चात स्पेशल क्लास देकर मियांवाली जेल स्थानांतरित किया गया। पंडित नेकीराम शर्मा उन विरले व्यक्तित्व में शामिल हैं जिन्होंने सन 1925 से 1930 तक पंडित मदन मोहन मालवीय और लाला लाजपत राय के सान्निध्य में रहकर कार्य किया।
महात्मा गांधी द्वारा संचालित नमक सत्याग्रह में भी नेकीराम शर्मा ने बढ़ चढ़कर भाग लिया और इसके परिणाम स्वरूप इन्हें 6 महीने की कैद एक बार फिर हो गई। लेकिन गांधी-इरविन पैक्ट के कारण इन्हें जल्दी ही कारावास से रिहा कर दिया गया। अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध आवाज बुलंद करने की सजा इन्हें एक बार फिर मिली और सन 1932 में एक साल के लिए मुल्तान जेल भेज दिया गया। यह वह समय था जब इनके इकलौते बेटे की शादी 29 जनवरी 1933 को होनी निश्चित हुई थी लेकिन जेल में होने के कारण ये अपने बेटे के विवाह में शामिल नहीं हो पाए थे।

नेकीराम के कलेजे में अंग्रेजों के विरुद्ध हमेशा आग सुलगती रही और वे संघर्ष का बिगुल बजाते रहे। एक संघर्ष के दौरान अंग्रेज डीसी ने इन्हें 20 मुरब्बा जमीन का लालच देकर नियंत्रित करने की कोशिश की थी जिसके जवाब में नेकीराम शर्मा ने उन्हें ललकारते हुए कहा था कि अंग्रेजो! तुम मुङो क्या जमीन दोगे, यह सारा हिंदुस्तान तो मेरा है।

पंडित नेकीराम शर्मा के नाम पर रोहतक में है गवर्नमेंट कालेज

नेकीराम शर्मा प्रभावशाली वक्ता और समाज सुधारक नहीं थे। इन्होंने भिवानी से एक साप्ताहिक पत्र संदेश का प्रकाशन किया था। हरियाणा सरकार ने रोहतक में एक गवर्नमेंट कालेज का नाम पंडित नेकीराम शर्मा के नाम पर रखा है। 8 जून 1956 को उनका निधन हो गया था।

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