CSJMU Kanpur : मुक्तिगाथा में मालिनी अवस्थी के लोकगीतों से सुरमयी हुई शाम, कलाकारों ने नृत्य नाटिका से बांधा समा
कानपुर, NOI :- CSJMU Kanpur : चुन चुन के फूल ले लो, अरमान रह ना जाए, यह हिंद का बगीचा गुलजार रह ना जाए...। आजादी के रणबांकुरों की दास्तां लोकगीतों से प्रस्तुत करके मशहूर लोक गायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने 15 अगस्त की शाम को सुरमयी बना दिया।
मौका था छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय में आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में जिला प्रशासन के सहयोग व संस्कृति विभाग की ओर से आयोजित मुक्तिगाथा कार्यक्रम का। इसमें लखनऊ के कलाकारों ने भी लोकगीतों पर नृत्य नाटिका प्रस्तुत करके समा बांध दिया।
उन्होंने बताया कि कई लोकगीतों को अंग्रेजों ने प्रतिबंधित कर दिया था। उन्हें प्रस्तुत किया गया है। मालिनी अवस्थी ने 1857 की क्रांति से लेकर 1947 में देश की आजादी तक कानपुर के योगदान और यहां के वीर जांबाजों की दास्तान को गीतों से प्रस्तुत किया। रानी लक्ष्मीबाई की जीवनी पर आठ बरस की रही छबीली, हुई गई झांसी की रनिया हो... गीत सुनाया तो काकोरी कांड को स्मरण करके गीत, पैसा के लोभी फिरंगिया धुंआ मा गाड़ी उड़ाए लिए जाए... सुनाया तो पूरा सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
उन्होंने मत लइयो चुनरिया हमार विदेशी ओ बालमा..., सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है..., मेरा रंग दे बसंती चोला, माहे रंग दे बसंती चोला..., कितने वीर झूले भारत मा..., शुद्ध सुंदर अति मनोहर मंत्र बंदे मातरम... आदि लोकगीतों को सुनाकर लोगों को भावविभोर, रोमांचित और देशप्रेम की भावना से ओतप्रोत कर दिया।
कार्यक्रम का शुभारंभ मालिनी अवस्थी के साथ कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक, जिलाधिकारी विशाख जी, सीडीओ सुधीर कुमार ने किया। सभागार में विश्वविद्यालय के शिक्षक, कर्मचारियों व शहर के गणमान्य लोग भी रहे।
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