VHP News: रोहिंग्या को आवास देने के मामले में घिरी केंद्र सरकार, RSS ने घेरा, दिया ये तर्क
नई दिल्ली :- रोहिंग्याओ को आवास देने के फैसले पर केंद्र सरकार घिरती नजर आ रही है। खुद संघ परिवार ने उसे घेरा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आनुषांगिक संगठन विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने सवाल उठाते हुए कठघरे में खड़ा किया है।
विहिप के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने गृह मंत्री अमित शाह का संसद में दिए बयान को याद दिलाते हुए कहा कि उन्होंने तब कहा था ही भारत को रोहिंग्या कभी स्वीकार्य नहीं है। अब उन्हें रहने के लिए फ्लैट देने की बात हो रही है।
आलोक कुमार ने दो टूक कहा कि जिस "शरणार्थी" के आधार पर उन्हें यह सुविधा और सुरक्षा देने की बात हो रही है, वह गलत है क्योंकि रोहिंग्या शरणार्थी नहीं हैं, वे घुसपैठिए हैं।
इसके साथ ही उन्होंने पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए हिंदू और सिख शरणार्थियों की दयनीय दशा को याद दिलाया, कहा कि ये अब भी मूलभूत सुविधाओं के बिना दिल्ली समेत देश के विभिन्न स्थानों पर खराब हालात में रहने को मजबूर हैं।
मजनू का टीला में कोई सुविधा मयस्सर नहीं है। इस मामले में उन्होंने केंद्र सरकार से पुनर्विचार का आग्रह करते हुए कहा कि रोहिंग्या को सुविधा नहीं देश से बाहर करने की आवश्यकता है।
कौन हैं रोहिंग्या
म्यांमार की 33 लाख आबादी में से रखाइन प्रांत में रोहिंग्या आबादी करीब 10 लाख से अधिक है। इनकी वंशावली अरबी, तुर्की, फारसी, मुगल, पठान, स्थानीय बंगाली व रखाइन से आती है। ये पाकिस्तान (2.5 से 3.5 लाख), सऊदी अरब (2.5 से 5 लाख), बांग्लादेश (2 से 5 लाख), मलेशिया (20 से 45 हजार) और थाईलैंड (तीन से 20 हजार) में भी बसे हैं।
अंग्रेजों ने 1824 से म्यांमार (तब बर्मा) पर राज किया और चावल उत्पादन के लिए दूसरे देशों से मजदूरों को म्यांमार भेजा। 17वीं शताब्दी में रोहिंग्या इसी नीति के तहत भारतीय उपमहाद्वीप के हिस्से (अब बांग्लादेश) से म्यांमार आए।
म्यांमार से भागने का कारण
1962 में हालात बदले जब सेना ने सत्ता संभाली। इसके बाद लगातार सैन्य शासन में रोहिंग्या मुस्लिमों पर अत्याचार शुरू हुए। 1971 में बांग्लादेश की आजादी की जंग में बड़ी संख्या में हजारों बांग्लादेशी म्यांमार गए। 1978 में म्यांमार सरकार ने शरणार्थियों को खदेड़ना शुरू किया।
रोहिंग्या लोग बांग्लादेशी शरणार्थियों से काफी मिलते-जुलते थे इसलिए निशाने पर आए। अब म्यांमार में जुंटा यानी सैन्य सरकार होने के कारण एक बार फिर रोहिंग्या देश छोड़ रहे हैं और सिक्किम व मिजोरम से सीमा जुड़ी होने से भारत आ रहे हैं।
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