पटना NOI  :-   डबल इंजन की सरकार में बिहार में केंद्र की मदद से शुरू होने वाले मेगा रोड प्रोजेक्ट की खूब चर्चा थी। मोटे तौर पर एक आकलन के अनुसार लगभग 50 हजार करोड़ की सड़क व पुल प्रोजेक्ट 2024 तक आकार पाने की स्थिति में थे। इनमें वैसे मेगा प्रोजेक्ट शामिल नहीं हैं, जिनका हाल में टेंडर हुआ है। अब 50 हजार करोड़ के इन प्रोजेक्टों पर संशय की स्थिति है। यह तय माना जा रहा कि 2024 तक तो अब इन परियोजनाओं का आकार में आना संभव नहीं हो पाएगा। 
पटना- आरा- सासाराम एक्सप्रेस वे प्रोजेक्ट की कुल लागत तीन हजार करोड़ रुपये है। वर्तमान में इसके लिए भू अर्जन की प्रक्रिया चल रही है। इस प्रोजेक्ट को लेकर अगर राज्य और केंद्र में समन्वय नहीं बना तो फिर इसका आकार में आना संभव नहीं हो पाएगा। इसी तरह पटना के दीघा से सारण के सोनपुर के बीच दीघा-सोनपुर पुल यानी जेपी सेतु  के समानांतर बनने वाले फोर लेन पुल का निर्माण भी केंद्रीय मदद से होना है। अभी तक इस प्रोजेक्ट की निविदा नहीं हो पाई है। यह माना जा रहा है कि इस प्रोजेक्ट में अब विलंब होगा। इस प्रोजेक्ट से एक सड़क योजना भी जुड़ी है। इसकी लागत एक हजार करोड़ रुपये है।
रामजानकी प्रोजेक्ट के तहत  बनने वाली सड़क योजना की लागत एक हजार करोड़ रुपये है। इस पर भी बात आगे बढ़ी थी। इसके साथ जुड़ी बुद्धिस्ट सर्किट वाली सड़क प्रोजेक्ट की लागत 5000 करोड़ रुपये है। इसपर भी संशय की स्थिति बन गई है। यूपी के गाजीपुर से आ रहे पूर्वांचल एक्सप्रेस वे का विस्तार भागलपुर तक किए जाने पर सहमित थी। इसकी लागत 35000 हजार करोड़ रुपये है। इतनी बड़ी राशि वाला यह प्रोजेक्ट भी अटक सकता है। गोरखपुर -सिलीगुड़ी एक्सप्रेस वे का बड़ा हिस्सा यानी 450 किमी में 400 किमी बिहार में है। इस योजना पर भी संशय की स्थिति है। पूर्णिया-पटना एक्सप्रेस वे को 2024 में आकार में आना था, पर अब मामला फंसा लग रहा।

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