नई दिल्‍ली, NOI : मौजूदा समय में पूरी दुनिया मौसम की मार झेल रही है। वैज्ञानिक इसको क्‍लाइमेट चेंज का नाम दे रहे हैं। लेकिन कई जानकार इसको इंसानी गलतियों का खामियाजा बता रहे हैं। लेकिन, वजह चाहे जो भी हो, मौजूदा समय में ये हकीकत है कि धरती पर मौसम हर किसी के लिए (चिंता का सबब बना हुआ है। धरती पर कई जगहों पर जंगल धधक रहे हैं तो कई देशों में भारी बारिश और बाढ़ ने आफत मचाई हुई है। जहां ये नहीं हैं तो वहां पर इसके विपरीत नजारा दिखाई दे रहा है। आइये डालते हैं एक नजर:-

चीन के दक्षिण पश्चिमी प्रांत इन दिनों भीषण गर्मी से जूझ रहे हैं। यहां पर बीते करीब एक सप्‍ताह से हीटवेट की चपेट में इस इलाके के शिशुआन, फूजियान प्रांत हैं। हालात इस कदर खराब हैं कि यहां पर नदियों का जलस्‍तर तेजी से घट रहा है। बारिश में आई कमी की वजह से सूखे की चपेट में 20 लाख हैक्‍टेयर खेती योग्‍य भूमि आ चुकी है। फसलें लगातार खराब हो रही हैं और आने वाले दिनों में देश के सामने खाद्यान्‍न का संकट आने की आशंका भी जताई जाने लगी है। बिजली की मांग बढ़ गई है लेकिन उत्‍पादन में कमी आने की वजह से कई कंपनियों में या तो काम बंद है या फिर आंशिक रूप से काम हो रहा है। चीन के जल और कृषि मंत्रालय फसलों की बर्बादी और सूखे के बारे में अपनी चिंता व्‍यक्‍त कर चुके हैं। चीन की सबसे बड़ी यांग्‍त्‍जी नदी लगभग सूखने की कगार पर पहुंच गई है।

अमेरिका में जहां एक तरफ भीषण गर्मी और हीटवेव से लोगों का हाल बेहाल है वहीं दूसरी तरफ दक्षिणी राज्‍यों में बाढ़ ने जिंदगी दुश्‍वार कर दी है। टेक्‍सास, नेशनल पार्क, उटाह और न्‍यू मैक्सिको में कहीं बाढ़ और कहीं गर्मी से लोगों की सांसें अटकी हुई हैं। गर्मी का आलम ये है कि कई जगहों पर जलस्‍तर काफी नीचे चला गया है। न्‍यू मैक्सिको के Carlsbad Caverns National Park में अचानक जलस्‍तर बढ़ने के बाद 200 लोगों को सुरक्षित स्‍थानों पर पहुंचाया गया है। टेक्‍सास मे भारी बारिश की चेतावनी दी गई है। कैलीफार्निया और लास एंजेलिस सूखे की मार झेल रहे हैं।

रूस के जंगलों में लगी आग से करीब 800 हैक्‍टेयर जमीन खाक हो चुकी है। हालांकि ग्रीनपीस का कहना है कि इस आग की वजह से 3000 हैक्‍टेयर जमीन पनर लगे पेड़ खाक हो चुके हैं। ये आग मास्‍को से उत्‍तर पूर्व में Ryazan Oblast में लगी हुई है। इसके अलावा रोस्‍तोव क्षेत्र में भी जंगल में जबरदस्‍त आग लगी हुई है।

यूरोप के कई देश जहां भीषण गर्मी और हीटवेव की चपेट में हैं वहीं यूरोप के कई देश जंगलों में धधक रही आग से परेशान हैं। यूरोप का तापमान बढ़ने की एक बड़ी वजह इन जंगलों में लगी आग भी है। रूस के कब्‍जे वाले डोनेत्‍स्‍क में भी जंगल में आग लगी हुई है।

अल्‍जीरिया के जंगल में लगी आग अब तक 36 लोगों की जान ले चुकी है। इसके अलावा यूक्रेन के Zakarpattia Oblast में लगी आग से 90 हैक्‍टेयर भूमि पर लगे पेड़ खाक हो चुके हैं। स्‍पेन के लोगों ने तीन दशकों में पहली बार जंगल की इतनी भयानक आग देखी है। स्विटजरलैंड का भी यही आल है। यहां पर भी जंगल में आग लगी हुई है। इटली के पलेरमो में भी जंगल की आग को बुझाने की कवायद जारी है। ब्राजील में अमेजन का जंगल धधक रहा है। इस बार इस जंगल में पहले की तुलना में अधिक बड़े इलाके में आग लगी हुई है।

पाकिस्‍तान के अधिकतर इलाके भारी बारिश और बाढ़ की वजह से बेहाल हैं। यहां बलूचिस्‍तान से लेकर गिलगिट बाल्टिस्‍तान तक कोई भी सूबा इससे बचा हुआ नहीं रहा है। आलम ये है कि भारी बारिश और बाढ़ की वजह से ये देशभर में 50 से ज्‍यादा मौतें हो चुकी हैं। बाढ़ से कई गांव बह गए हैं। कई मवेशियों की मौत हो चुकी है। लाखों लोगों के सामने रोजी-रोटी के अलावा सिर पर छत का भी संकट विकराल होता दिखाई दे रहा है। बाढ़ और बारिश की वजह से लाखों हैक्‍टेयर कृषि योग्‍य भूमि और फसलों को नुकसान पहुंचा है। बाढ़ को देखते हुए खैबर पख्‍तूंख्‍वां के चार जिलों में इमरजेंसी लगाई गई है।

सुडान में इस समय हाल के कुछ वर्षों की सबसे भयंकर बाढ़ का सामना कर रहा है। यहां पर मई से अक्‍टूबर तक भारी बारिश होती है लेकिन इस बार जैसे हालात पहले नहीं हुए थे। इस बार ही बाढ़ और भारी बारिश में जान-माल की हानि अधिक हुई है। नील नदी के आसपास करीब 400 किमी का इलाका बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस बार बाढ़ की वजह से अब तक 80 लोगों की जान जा चुकी है और हजारों लोग बेघर हुए हैं। सुडान के छह राज्‍यों में भारी बारिश और बाढ़ को देखते हुए इमरजेंसी लगाई गई है। पहले से ही गरीबी और भुखमरी के शिकार सुडान के लोगों को इस वक्‍त और मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। यहां के करीब 12 लाख लोगों को खाने पीने की चीजों की जरूरत है।

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