Climate Change: पूरी दुनिया में आफत बन रहा है बिगड़ा हुआ मौसम, कहीं आग तो कहीं पानी ही पानी, कहीं पर सूखे की मार
रूस के जंगलों में लगी आग से करीब 800 हैक्टेयर जमीन खाक हो चुकी है। हालांकि ग्रीनपीस का कहना है कि इस आग की वजह से 3000 हैक्टेयर जमीन पनर लगे पेड़ खाक हो चुके हैं। ये आग मास्को से उत्तर पूर्व में Ryazan Oblast में लगी हुई है। इसके अलावा रोस्तोव क्षेत्र में भी जंगल में जबरदस्त आग लगी हुई है।
यूरोप के कई देश जहां भीषण गर्मी और हीटवेव की चपेट में हैं वहीं यूरोप के कई देश जंगलों में धधक रही आग से परेशान हैं। यूरोप का तापमान बढ़ने की एक बड़ी वजह इन जंगलों में लगी आग भी है। रूस के कब्जे वाले डोनेत्स्क में भी जंगल में आग लगी हुई है।
अल्जीरिया के जंगल में लगी आग अब तक 36 लोगों की जान ले चुकी है। इसके अलावा यूक्रेन के Zakarpattia Oblast में लगी आग से 90 हैक्टेयर भूमि पर लगे पेड़ खाक हो चुके हैं। स्पेन के लोगों ने तीन दशकों में पहली बार जंगल की इतनी भयानक आग देखी है। स्विटजरलैंड का भी यही आल है। यहां पर भी जंगल में आग लगी हुई है। इटली के पलेरमो में भी जंगल की आग को बुझाने की कवायद जारी है। ब्राजील में अमेजन का जंगल धधक रहा है। इस बार इस जंगल में पहले की तुलना में अधिक बड़े इलाके में आग लगी हुई है।
पाकिस्तान के अधिकतर इलाके भारी बारिश और बाढ़ की वजह से बेहाल हैं। यहां बलूचिस्तान से लेकर गिलगिट बाल्टिस्तान तक कोई भी सूबा इससे बचा हुआ नहीं रहा है। आलम ये है कि भारी बारिश और बाढ़ की वजह से ये देशभर में 50 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। बाढ़ से कई गांव बह गए हैं। कई मवेशियों की मौत हो चुकी है। लाखों लोगों के सामने रोजी-रोटी के अलावा सिर पर छत का भी संकट विकराल होता दिखाई दे रहा है। बाढ़ और बारिश की वजह से लाखों हैक्टेयर कृषि योग्य भूमि और फसलों को नुकसान पहुंचा है। बाढ़ को देखते हुए खैबर पख्तूंख्वां के चार जिलों में इमरजेंसी लगाई गई है।
सुडान में इस समय हाल के कुछ वर्षों की सबसे भयंकर बाढ़ का सामना कर रहा है। यहां पर मई से अक्टूबर तक भारी बारिश होती है लेकिन इस बार जैसे हालात पहले नहीं हुए थे। इस बार ही बाढ़ और भारी बारिश में जान-माल की हानि अधिक हुई है। नील नदी के आसपास करीब 400 किमी का इलाका बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस बार बाढ़ की वजह से अब तक 80 लोगों की जान जा चुकी है और हजारों लोग बेघर हुए हैं। सुडान के छह राज्यों में भारी बारिश और बाढ़ को देखते हुए इमरजेंसी लगाई गई है। पहले से ही गरीबी और भुखमरी के शिकार सुडान के लोगों को इस वक्त और मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। यहां के करीब 12 लाख लोगों को खाने पीने की चीजों की जरूरत है।
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