Kalka-Shimla Toy Train: ऐतिहासिक कालका-शिमला ट्वाय ट्रेन की गति बढ़ाने की योजना ठंडे बस्ते में: सूत्र
नई दिल्ली, NOI :- भारतीय रेलवे ऐतिहासिक कालका-शिमला ट्वाय ट्रेन की यात्रा को दो घंटे कम करने के लिए गति बढ़ाने की महत्वाकांक्षी योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। यह जानकारी सूत्रों से आ रही है। सूत्रों का कहना है कि तीखे मोड़, ढलान और पर्याप्त स्थान की कमी ट्वाय ट्रेन की गति बढ़ाने के लिए तकनीकी रूप से इसे असंभव बना रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश सरकार के निवेदन पर रेलवे ने पिछले दो सालों में अध्ययन किया है कि ट्वाय ट्रेन को अधिक गति पर चलाना कैसे संभव है। साल 2018 में उत्तर रेलवे ने कालका-शिमला ट्वाय ट्रेन की गति बढ़ाने के लिए अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (RDSO) से बात की थी।
अंतिम निर्णय लिया जाना अभी बाकी
समाचार एजेंसी पीटीआई अनुसार, एक अधिकारी ने कहा, ‘यह बहुत ही कठिन प्रोजेक्ट है। रास्ते में तिरछापन अधिक है और पर्याप्त स्थान की कमी के कारण इसे सीधा करने के प्रयास विफल हो चुके हैं। यह तकनीकी रूप से संभव नहीं है। RDSO के अध्ययन के बाद अंतिम निर्णय लिया जाना अभी बाकी है। हालांकि, ऐसा लगता नहीं है कि ट्वाय ट्रेन की गति को एक विशेष बिंदु से अधिक बढ़ाया जा सकता है।’
इसका एक कारण यह भी है कि तेज गति से चलने के लिए ट्वाय ट्रेन पर किए गए खर्च के बाद बमुश्किल 3 से 4 किमी प्रति घंटे की गति हासिल करना इस लाभ को उचित नहीं ठहराया जा सकता। हालांकि, परियोजना की स्थिति पर रेलवे के आधिकारिक जवाब का इंतजार है। एक सूत्र ने कहा, ‘फिलहाल, के लिए यह प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में है।’
पटरियों का 90 प्रतिशत हिस्सा 24 डिग्री की वक्रता के साथ
सूत्रों ने कहा कि अधिकारियों ने साल भर में 62 भूस्खलन के साथ पहाड़ियों की सीमाओं को भी प्रमुखता से दिखाया है। पटरियों का 90 प्रतिशत हिस्सा 24 डिग्री की वक्रता के साथ है। ट्रेन की धीमी गति के कारण ही रूट पर अब तक कोई घटना नहीं हुई।
फिलहाल ट्रेन की गति 22-25 किमी प्रति घंटे है और इसे बढ़ाकर 30-35 किमी प्रति घंटे करने की योजना है। नैरोगेज रेल मार्ग पर धीमी गति से चलने वाली टॉय ट्रेन को 10 साल पहले यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल का दर्जा दिया गया था।
हालांकि, भविष्य में यात्रा करने के इच्छुक लोगों के लिए अच्छी खबर है कि अगले 10 महीनों में ब्रिटिश युग के कोचों को शानदार कोच में बदल दिया जाएगा। पंजाब के कपूरथला स्थित रेल कोच फैक्टरी में यह 30 कोच तैयार किए जा रहे हैं, जो अगले साल तक ट्रैक पर होंगे।
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