कानपुर NOI :-  फर्जी रजिस्ट्री मामले में बुधवार को केडीए के इतिहास में पहली बड़ी कार्रवाई हुई। उससे पहले 2009 में हुई जांच में 40 फर्जी रजिस्ट्री पकड़े जाने पर तत्कालीन उपाध्यक्ष के द्वारा निरस्त कराया गया था। वहीं उसके छह वर्ष बाद 2015 में भी 10 फर्जी रजिस्ट्री पकड़ी गईं जिस पर मुकदमा दर्ज कराने के बाद कब्जा ले लिया गया।

हालांकि निर्माण ढहाने जैसी की कार्रवाई पहली बार हुई। एक साल पहले फर्जी रजिस्ट्री का मामला सामने आने पर उपाध्यक्ष ने कागजों पर खाली भूखंड तलाशने को सर्वे कराया। 11 सौ से अधिक भूखंड मिले भी पर सिंडीकेट की सरपरस्ती के चलते पनकी की स्कीम-40 में चाइना प्लाट के खेल पर पर्दा पड़ा रहा।

बीते साल फर्जी रजिट्री का मुद्दा उठने पर उपाध्यक्ष के द्वारा कई अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के साथ ही केडीए की सभी आवासीय योजनाओं का सर्वे कराने को कहा जिससे कि पता चल सके कि उसके कितने भूखंड अभी बिक्री होने से बाकी हैं। सर्वे हुआ और शहर भर में कई योजनाओं से ऐसे 1100 से अधिक भूखंड चिन्हित भी किए गए। उन भूखंड़ों की बिक्री किए जाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई।

हालांकि हैरानी इस बात की है कि पनकी आवासीय योजना के कई भूखंड तब भी अनछुये रह गए। दस्तावेजों में खाली पड़े भूखंडों के चिन्हीकरण के दौरान सिंडीकेट ने इस बात का ख्याल रखा कि सर्वे में वो भूखंड न आने पाएं जिनको माफिया के साथ मिलकर फर्जी तरीके से फ्री-होल्ड कराने के बाद रजिस्ट्री करके बेचने के बाद करोड़ों के वारे न्यारे कर लिए गए।


लेखा विभाग उनका सत्यापन करने के बजाय स्टाम्प जमा करके भूखंड को फ्रीहोल्ड कर दिया जाता। बाद में मूल आवंटी की फोटो हटा दूसरे की लगाकर उसी के नाम पर रजिस्ट्री करा दी जाती है। यानि मूल आवंटी कोई और रजिस्ट्री हुई किसी और के नाम हुई, ऐसे भूखंडों को ही सिंडीकेट द्वारा चाइना प्लाट नाम दिया गया।

पनकी की स्कीम-40 के इन भूखंड की हुई फर्जी रजिस्ट्री

बी ब्लाक में भूखंड संख्या 4, 233, 238, 316, 485/6, 855, 863, 866, 892 और 893।क्या है चाइना प्लाट और उसका तिलिस्म : केडीए में सक्रिय सिंडीकेट के द्वारा शहर की तमाम आवासीय योजनाओं में ऐसे आवंटियों की फाइलों को तलाशा जाता है जिन्होंने सालों बाद भी रजिस्ट्री नहीं करवाई। ऐसे भूखंड की बकाया धनराशि के लिए पुरानी बैंक रसीदें लगाई जाती।

ईडी कर रही कई भूखंडों की जांच : सिंडीकेड के तिलिस्म के चलते भले सालों से चाइना प्लाटों की जांच केडीए के अधिकारी नहीं करा सके हों पर बिकरू कांड में जयकांत बाजपेयी की संलिप्तता की जांच कर रही ईडी जरूर फर्जी फीहोल्ड और रजिस्ट्री करके हड़पे भूखंडों पर बने गेस्टहाउस, बहुमंजिला इमारत में बने पेंटहाउस, डूप्लेक्स आदि की जांच कर रही है।

दरअसल ईडी की जांच में जयकांत के फंड मैनेजर का नाम सामने आया। उससे कई बार पूछताछ के बाद ईडी इस बात से तो मुतमईन हो गई कि उसके जयकांत से व्यापारिक संबंध थे। अब एजेंसी उसके द्वारा कुछ सालों में बनाई की सैकड़ों करोड़ की सम्पति और उसमें जयकांत के साथ पुलिस के हाथों मुठभेड़ में मारे गए विकास दुबे के निवेश की जांच में लगी है। इसी दौरान उसके हाथ फंड मैनेजर द्वारा कराई गईं फर्जी रजिस्ट्री की फेहरिश्त भी हाथ लगी है।

ईडी के हाथ लगीं रजिस्ट्री : बी ब्लाक पनकी के भूखंड 233, 238, 825, 855, 887, 892, 893, सी ब्लाक में 721 और ई ब्लाक के 172, 569।

भूखंडों की रजिस्ट्री निकलवा कर गहनता से जांच कराई जाएगी। फर्जीवाडा पाया जाता है, तो न सिर्फ रजिस्ट्री निरस्त किए जाने की कार्रवाई की जाएगी बल्कि एफआईआर दर्ज करवाए जाने के साथ कब्जा बेदखल भी किया जाएगा। विभागीय व्यक्ति की मिलीभगत पायी जाती है तो उसके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई कराया जाना सुनिश्चित किया जाएगा।- सत शुक्ला, विशेष कार्याधिकारी, कानपुर विकास प्राधिकरण

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