अलीगढ़  NOI :-  फसल बीमा पर प्रशासन की बेरुखी से किसान इस योजना से विमुख हो रहे हैं। पिछले पांच साल में crop insurance कराने वालों की संख्या घटकर 13 हजार रह गई है। किसान इसका कारण नुकसान के आकलन में arbitrary attitude और न्यूनतम बीमित राशि बता रहे हैं। मंडल के चारों जिलों में ही बीमित राशि में अंतर है। खरीफ की मुख्य फसल धान की बीमित राशि पर नजर डालें तो अलीगढ़ में 67,611 रुपये प्रति हेक्टेयर बीमित राशि निर्धारित है। जबकि, कासगंज में 68,509 रुपये और एटा में 67,779 रुपये प्रति हेक्टेयर है। अन्य जिलों में तो इससे भी अधिक है। insured amount का निर्धारण हर साल होता है।
अपेक्षा से कम मिल रही बीमित राशि : जनपद में खरीफ की मुख्य फसल धान है। 87,082 हेक्टेयर में यहां धान होता है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में खरीफ की अधिसूचित फसलों में धान, बाजरा, मक्का, अरहर को शामिल किया गया है। ज्वार, उड़द, मूंग, तिल, सोयाबीन और मूंगफली को अलीगढ़ में अधिसूचित नहीं किया गया। उड़द, मूंग को अधिसूचित करने की किसानों की वर्षों पुरानी मांग है। खरीफ की मुख्य फसलों पर बीमित राशि अन्य जिलों की अपेक्षा कम होना भी किसानों को खलता है।
धान की सबसे अधिक बीमित राशि हापुड़़ में : धान पर निर्धारित बीमित राशि पर किसान 1352.22 रुपये प्रीमियम देते हैं। जबकि, बाजरा पर 50,172 रुपये प्रति हेक्टेयर बीमित राशि है। मक्का पर 46,844 रुपये निर्धारित हैं। अरहर पर 60,494 रुपये प्रति हेक्टेयर निर्धारण किया गया है। अन्य जिलों में फसलों की बीमित राशि देखें तो धान पर सबसे अधिक बीमित राशि 79,018 रुपये प्रति हेक्टेयर हापुड़ में है। मेरठ में 78,501 रुपये, मैनपुरी में 77368 रुपये और बुलंदशहर में 74,831 रुपये बीमित राशि है।
लगातार घट रही बीमा कराने वालों की संख्‍या : Natural disaster में फसल को नुकसान होता है तो इन जिलों के बराबर यहां किसानों को बीमा का लाभ नहीं मिलता। कृषि अधिकारी भी बताते हैं कि बीमा कराने वालों की संख्या घट रही है। पांच साल पहले 47 हजार किसानों ने खरीफ में फसल बीमा कराया था। इस सीजन में ये संख्या 13 हजार रह गई है। अतरौली के किसान राजकिशोर कहते हैं कि नुकसान का आकलन ईमानदारी से नहीं होता। बीमित राशि भी यहां न्यूनतम है।
इन परिस्थितियों में मिलता है बीमा का लाभ : ओलावृष्टि, जलभराव (धान को छोड़कर), भूस्खलन, बादल फटना, आकाशीय बिजली से खड़ी फसल बर्बाद होने पर क्षतिपूर्ति मिलती है। इसके अलावा फसल कटाई के बाद 14 दिन तक खेत में रखी फसल दैवीय आपदा से प्रभावित होने पर लाभ मिलता है। धान के लिए 15 प्रतिशत प्रीमियम की दर होती है। इसमें दो प्रतिशत किसान को देना होता है, जबकि 6.5 प्रतिशत राज्यांश व इतना ही केद्रांश का होता है। ऋण लेने वाले किसानों के लिए बीमा अनिवार्य था। अब ऐच्छिक कर दिया है।

खरीफ फसलों का क्षेत्रफल

धान,  87082

मक्का,  19,880

बाजरा,  85427

उड़द,  479

मूंग,  1092

अरहर,  1109

(क्षेत्रफल हेक्टेयर में)

इनका कहना है

फसलों की बीमित राशि डीएम की अध्यक्षता में गठित कमेटी तय करती है। हर साल बीमित राशि का निर्धारण होता है। फसल बीमा में किसान रुचि नहीं ले रहे। अब ये ऐच्छिक है। किसी पर दबाव नहीं बना सकते। किसानों को प्रेरित किया जा रहा है।

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