Raju Srivastav Death: संघर्ष के दिनों में भी मदद करने में पीछे नहीं राजू, कानपुर में खूब रोईं पड़ोसी रजेश्वरी और फूलजहां
राजू श्रीवास्वत Raju Srivastav के निधन की जानकारी पर फूलजहां की आंखों में भी आंसू थे। वह बताती हैं कि जब भी राजू भइया घर आते तो मोहल्ले में चाय, बिस्किट आदि बंटवाते थे। जब वापस जाते थे तो अपने भाई या अन्य किसी एक को कुछ रुपये देकर सभी को बंटवाते थे। राजू भइया का व्यवहार बहुत अच्छा था और वह जरूरतमंदों की मदद करते थे।
मोहल्ले में गमगीन लोग बताते हैं कि इतनी ऊंचाई पर पहुंचने के बाद भी राजू भइया में बिल्कुल भी बदलाव नहीं आया था। वह जब भी यहां आते थे तो सभी से बात करते और घर पर बुलाते थे। अगर कोई मुसीबत में होता तो हर तरह से मदद करते थे। वह लोगों को अलग-अलग नाम से पुकारते और खूब हंसी-मजाक करते थे।
अमन बताते हैं कि राजू चाचा गणेश महोत्सव पर जरूर आते थे। यहां लोगों को रोक-रोककर हालचाल पूछते और मदद करते थे। जब राजू चाचा अपने घर आते हैं तो कारों की लाइन लग जाती थी। सरसौल के कस्बा रामपुर में मुहबोली ममेरी बहन रीता श्रीवास्तव उर्फ गुड्डन बताती हैं कि राजू भइया तीन बार उनसे मिलने सरसौल आए थे। अभी 31 अक्टूबर 2021 को कानपुर से फतेहपुर जाते समय भी वह सरसौल में उनके घर आधा घंटा रुके थे। वह खूब हंसी-मजाक करते थे।
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