नई दिल्ली NOI :-  एम्स में राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में रक्तदान करने वाले लोगों को सम्मानित किया गया। ई-रक्तकोष नेशनल पोर्टल बन चुका है। एक पखवाडे़ में ढाई लाख यूनिट रक्तदान हुआ है।

नेशनल ब्लड डोनर रजिस्ट्री बनाने की कोशिश हो रही है। इसके लिए राष्ट्रीय रिपोजिट्री से 10 लाख युवाओं को जोडा़ जाएगा। चार लाख से अधिक युवा पंजीकृत भी हो चुके हैं। राष्ट्रीय रजिस्ट्री बनने पर मरीजों ब्लड के लिए परेशान नहीं होना पडे़गा।

एम्स के निदेशक डा. एम श्रीनिवास

पांच सालों में एम्स के ब्लड बैंक में 40 हजार यूनिट ब्लड एकत्रित किया गया। कोविड के दौरान चुनौतियां बढ़ गई थी। कई तरह के प्रतिबंधों के कारण रक्तदान के लिए मरीजों के परिजन नहीं पहुंच पा रहे थे। उस मुश्कल वक्त में एम्स के कर्मचारियों ने मिलकर 77 रक्तदान कैंप किया, जिससे आठ हजार यूनिट ब्लड एकत्रित हुआ। जिससे दूसरे अस्पतालों में भी जरूरतमंद मरीजों को ब्लड उपलब्ध कराया गया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने जो हमें लक्ष्य दिया है उसे संस्थान के सभी कर्मचारियों के साथ मिलकर टीम वर्क के रूप में पूरा करेंगे।

एम्स में बदलेगी मरीजों के इलाज की व्यवस्था

वहीं एम्स में अप्वाइंटमेंट और ओपीडी में मरीजों के इलाज की व्यवस्था बदलने जा रही है। एम्स की कमान संभालने के एक सप्ताह में ही संस्थान के निदेशक डा. एम श्रीनिवास ने ओपीडी में भीड़ को नियंत्रित करने और इलाज की व्यवस्था में सुधार के लिए एक के बाद एक कई कदम उठाए हैं।

इसी क्रम में उन्होंने अब यह आदेश जारी किया है कि नई ओपीडी व सर्जिकल ब्लाक की ओपीडी में स्लाट के अनुसार आनलाइन अप्वाइंटमेंट दिया जाएगा। अप्वाइंटमेंट पर्ची पर दर्ज समय के दौरान ही मरीज ओपीडी में देखे जाएंगे। बगैर आनलाइन अप्वाइंटमेंट के ओपीडी में इलाज के लिए पहुंचने वाले मरीजों को भी अस्पताल पहुंचने पर स्लाट दिया जाएगा। उस निर्धारित अवधि में ही उनका ओपीडी पंजीकरण होगा। तब तक उन्हें वेटिंग एरिया में इंतजार करना होगा।

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