अमृतसर NOI :-  किसी समय रास्ता दिखाने वाले कोस मीनार आज अपना अस्तित्व खो चुके हैं। शहर में भी जीटी रोड पर सदर चौक के पास आज भी दो कोस मीनार मौजूद हैं, मगर प्रशासन की अनदेखी के कारण इन्हें संभालने के लिए कभी प्रयास नहीं किए गए।

कई बार क्षतिग्रस्त होने पर लीपापोती के लिए इनकी रिपेयर जरूर करवा दी जाती है, परंतु इनका आज तक क्या इतिहास रहा या ये किस काम के लिए प्रयोग में आते थे, इस बारे में बताने के लिए प्रशासन की ओर से जानकारी उपलब्ध करवाने के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए। बीच सड़क से ये कोस मीनार दिखाई तो देते हैं लेकिन इनका इतिहास कोई नहीं जानता है।

बादशाह शेरशाह सूरी ने करवाया था निर्माण

सदियों से मापने का कोई न कोई मापक हुआ करता था। चाहे वस्तु का वजन, लंबाई-चौड़ाई या रास्ते की दूरी को मापना हो, तो प्राचीन काल से ही राजा-महाराजा इसके लिए विभिन्न मापकों का प्रयोग करते थे। इससे उन्हें और उनकी प्रजा को आसानी होती थी और राज्य के समस्त कार्य सुचारु रूप से होते रहे।

इसी को मुख्य रखते हुए कोस मीनार का निर्माण 1540 से 1545 के आसपास बादशाह शेरशाह सूरी ने करवाया था। बादशाह शेरशाह सूरी ने अपने कार्यकाल में सड़कों को मापने के लिए उन्हें नियमित अंतराल पर चिन्हित किया था, जिससे यह ज्ञात हो सके कि रास्ता कितना लंबा है और कितना तय किया गया।

अंग्रेजों के समय में भी इन्ही मीनार से पता चलता था रास्ता

देश में जब अंग्रेजों ने कब्जा कर लिया था, उस समय में भी शेरशाह सूरी रोड पर कोस मीनार मौजूद थे, क्योंकि तब पूरा शहर बारह गेटों के अंदर बसता था। ऐसे में गेटों के बाहर हर तरफ केवल जंगल ही होता था। उस समय भी अकसर लोग रास्ता भटक जाते थे। खासकर किला गोबिंद गढ़ को जाने के लिए इन्हीं कोस मीनार का सहारा लिया जाता था, क्योंकि ब्रिटिश काल और महाराजा रणजीत सिंह के समय उनकी फौज किला गोबिंद गढ़ में ठहरती थी।

ऐसे में रात के समय जब फौज किले की तरफ प्रस्थान करती तो अंधेरा होने के कारण अकसर वह रास्ता भटक जाते थे, मगर इन्हीं कोस मीनार के जरिए वे लोग किले तक पहुंचते थे। बताया जाता है कि उस समय 12 के करीब कोस मीनार शहर में बने थे, मगर अब उनमें से केवल दो ही बचे हैं।

सड़क के बीचों-बीच मौजूद हैं ये मीनार

जीटी रोड पुराना सदर चौक में ये दोनों कोस मीनार सड़क के बीचों-बीच मौजूद हैं। हालांकि जब बीआरटीएस प्रोजेक्ट बनाने का काम चल रहा था तो उस समय ये दोनों कोस मीनार तोड़े जाने की भी बातें उठी थीं, मगर कुछ इतिहासकारों ने आगे आकर इसका विरोध किया तो प्रशासन ने दोनों मीनार सड़क पर रहने के आदेश जारी कर दिए। हालांकि कई बार रात के अंधेरे में कुछ लोगों के वाहन भी इनके साथ टकराए हैं जिस कारण यह क्षतिग्रस्त हो गए थे।

0 Comments

Leave A Comment

Don’t worry ! Your email address will not be published. Required fields are marked (*).

Get Newsletter

Advertisement