नई दिल्ली, NOI  ऑनलाइन डेस्क :  मन में साहस और दिल में देशभक्ति लिए जब नीरज फाइनल राउंड में भाला फेंकने के लिए दौड़ लगा रहे थे तभी लग गया था कि, ये युवा एथलीट कुछ खास करने वाला है। छह राउंड खत्म होने तक पूरे देशवासियों का दिल धक-धक करता रहा कि, क्या होगा-क्या होगा क्योंकि विरोधी कमजोर नहीं थे, लेकिन दूसरे राउंड में नीरज ने ऐसा भाला फेंका जिसकी दूरी का पीछा कोई भी अन्य खिलाड़ी नहीं कर पाया। नीरज ने दूसरे राउंड में 87.58 मीटर भाला फेंककर प्रतिद्वंदियों के लिए ऐसा टारगेट सेट कर दिया जो उनके लिए अभेद बन गया और इसके आधार पर ही नीरज ने देश के लिए बतौर एथलीट पहला गोल्ड मेडल जीत लिया। 

जैवलिन थ्रो में भारत के किसी भी खिलाड़ी ने ओलिंपिक में अब तक ये कमाल नहीं किया था, लेकिन नीरज ने दिखा दिया कि जज्बा हो तो कुछ भी हासिल किया जा सकता है। महज 23 साल की उम्र में उन्होंने जो कमाल किया वो देश को प्रेरित करने वाला और दुनिया में भारत के झंडे को बुलंद करने वाला साबित हुआ। नीरज चोपड़ा की उपलब्धि पर सारा देश गर्व कर रहा है। नीरज एथलीट के तौर पर देश के लिए ओलिंपिक में गोल्ड जीतने वाले पहले खिलाड़ी बने। उन्होंने 12 साल के बाद देश को पीला तमगा दिलाकर साल 2008 की याद ताजा करा दी जब बीजिंग ओलिंपिक में अभिनव बिंद्रा ने पहली बार देश के लिए ओलिंपिक में किसी भी खेल में सोना जीता था। 

2008 बीजिंग ओलिंपिक में अभिनव बिंद्रा ने पहली बार भारत के लिए गोल्ड मेडल जीता और देश को रास्ता दिखाया कि, मेहनत के दम पर कुछ भी किया जा सकता है। इसके बाद दो ओलिंपिक में भारत का कोई खिलाड़ी देश के लिए सोना नहीं जीत पाया, लेकिन इस बार नीरज चोपड़ा ने ये कर दिखाया। बिंद्रा ने 10 मीटर एयर राइफल शूटिंग प्रतियोगिता में 2008 में गोल्ड मेडल जीता था। 

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