नई दिल्ली, NOI :- एक गिलास दूध, चाय या काफी हर घर के पेय पदार्थ का हिस्सा है। बिना इसके भारतीयों की सुबह नहीं होती। मक्खन से लेकर मिल्क शेक, दही, लस्सी, खीर, मिठाई व अन्य व्यंजनों में दूध हमारे आहार का अभिन्न हिस्सा है। लेकिन हमारे आहार की इतनी जरूरी चीज मिलावट के साथ हमें परोसी जा रही है।
लोकल सर्कल ने अपनी एक सर्वे रिपोर्ट में दावा किया है कि हर तीन में से दो परिवारों का मानना है कि वे जो दूध पी रहे हैं वह शुद्ध नहीं है। उसमें विभिन्न तरह की मिलावट की गई है। 35 प्रतिशत उपभोक्ताओं का मानना ​​है कि वो जो दूध खरीद रहे हैं उसमें पानी, वसा और दूध पाउडर है। जबकि 21 प्रतिशत का कहना है कि इसमें मिलावट भी है।

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क्या कह रहे उपभोक्ता?


ये सर्वे दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और फरीदाबाद के लगभग 45 हजार घरेलू उपभोक्ताओं की प्रतिक्रियाओं के आधार पर तैयार किया गया है। वहीं, इस रिपोर्ट में केवल 33 प्रतिशत उपभोक्ताओं ने ही माना कि उन्हें शुद्ध गाय या भैंस का दूध मिल रहा है, आठ प्रतिशत ने कहा कि उन्हें नहीं पता वो जो दूध पी रहे हैं वो शुद्ध है या नहीं। इसके अतिरिक्त 59 प्रतिशत उपभोक्ताओं ने इसमें किसी न किसी तरह की मिलावट है।

कई दिन बाद पहुंचता है दूध


इसके अतिरिक्त सर्वेक्षण में शामिल 96 प्रतिशत उपभोक्ताओं का कहना है कि जहां से वो दूध खरीदते हैं ,वहां पर ही दूध 250 किलोमीटर से अधिक की यात्रा करता है। फिर उनके घर पहुंचने में और दिन भी लग जाते हैं। उपभोक्ताओं के अनुसार कई दिनों से लेकर एक सप्ताह तक की लंबी दूरी भी दूध की शुद्धता और गुणवत्ता में कुछ हद तक योगदान देती है।

मिलावटी दूध संबंधी आंकड़े

गाय व भैंस का शुद्ध दूध मिल रहा है - 33 प्रतिशत

कुछ अतिरिक्त पानी के साथ दूध - 17 प्रतिशत

कुछ अतिरिक्त पानी, वसा और मिल्क पाउडर के साथ दूध - 21 प्रतिशत

कुछ अतिरिक्त पानी, वसा मिल्क पाउडर व अन्य मिलावटों के साथ दूध - 21 प्रतिशत

दूध की शुद्धता के बारे में अनिश्चितता - 8 प्रतिशत

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