चीन के साथ सीमा से महज 25 किमी दूर अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टर को किया गया तैनात
नई दिल्ली, NOI : चीन के साथ सीमा पर तनाव के बीच भारतीय वायुसेना का अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टर चीन के साथ सीमा से महज 25 किमी दूर दुनिया के सबसे ऊंचे उन्नत लैंडिंग ग्राउंड में से एक लद्दाख में अपनी कम उड़ान संचालन क्षमता का प्रदर्शन किया है। अपाचे लद्दाख क्षेत्र में पिछले साल मई जून से काम कर रहा है। भारतीय वायुसेना के विशेष बलों ने लगभग 13,500 फीट की ऊंचाई पर न्योमा एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड पर चिनूक हैवी लिफ्ट हेलीकॉप्टर से विशेष अभियान चलाने की क्षमता का प्रदर्शन किया। अपाचे हेलीकॉप्टर की डिजिटल कनेक्टिविटी और अत्याधुनिक सूचना प्रणाली इसे खतरनाक बनाती है। इस हेलीकॉप्टर में जिस तरह की तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है, वो इसे दुर्गम स्थानों पर भी कारगर मारक क्षमता और सटीक सूचनाएं उपलब्ध करती हैं। सघन पर्वतीय क्षेत्रों में ये सबसे कारगर हेलीकॉप्टर है, जो पहाड़ियों और घाटियों में छिपे दुश्मन को भी आसानी से तलाशकर सटीक निशाना साध सकता है। इसे कई तरह के बड़े बम, बंदूकों और मिसाइलों से लैस किया जा सकता है।
जानें क्यों है दुनिया का सबसे घातक हेलिकॉप्टर
- दुश्मन पर बाज की तरह हमला कर निकल जाने के लिए इसे तेज रफ्तार बनाया गया है।
- 550 किलोमीटर है इस हेलीकॉप्टर की फ्लाइंग रेंज
- 16 एंटी टैंक मिसाइल दाग कर उसके परखच्चे उड़ा सकता है ये हेलीकॉप्टर
- 30 एमएम की 1,200 गोलियां एक बार में भरी जा सकती हैं, हेलीकॉप्टर के नीचे लगी हैं बंदूकें।
- 16 फ़ुट ऊंचे और 18 फ़ुट चौड़े अपाचे हेलीकॉप्टर को उड़ाने के लिए दो पायलट होना जरूरी है।
- इस हेलिकॉप्टर के बड़े विंग को चलाने के लिए दो इंजन होते हैं। इस वजह से इसकी रफ्तार बहुत ज्यादा है।
- इसका डिजाइन ऐसा है कि ये आसानी से रडार को चकमा दे सकता है।
- अपाचे हेलिकॉप्टर एक बार में 2:45 घंटे तक उड़ान भर सकता है।
- बेहतर लैंडिंग गियर, क्रूज गति, चढ़ाई दर और पेलोड क्षमता में वृद्धि इसकी कुछ अन्य विशेषताएं हैं।
- वायुसेना के बेडे में शामिल अपाचे अपग्रेटेड वर्जन के हैं। इसकी तकनीक व इंजन को उन्नत किया गया है।
- यह मानव रहित हवाई वाहनों (यूएवी) को नियंत्रित करने की क्षमता से लैस है।
- युद्ध के मैदान की तस्वीर को कमांड सेंटर पर प्रसारित करने और वहां से प्राप्त करने की भी क्षमता है।
- अपाचे को अमेरिकी कंपनी बोइंग ने भारतीय सेना की जरूरत के हिसाब से विशेष तौर पर तैयार किया है।
ज्ञात हो कि पिछले दिनों पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीन ने गोगरा इलाके से अपने सैनिकों को पीछे हटा लिया है। दोनों देशों ने गोगरा में एलएसी के पेट्रोलिंग प्वाइंट 17ए से सैनिकों को पीछे हटाने के साथ ही इस अग्रिम मोर्चे पर बनाए गए सभी अस्थायी निर्माण और बुनियादी ढांचे को भी ध्वस्त कर दिया है। गोगरा के इस पेट्रोलिंग प्वाइंट पर बीते 15 महीने से दोनों देशों के सैनिक टकराव की स्थिति में थे। इसी के साथ पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर सैन्य टकराव के छह मोर्चों में से चार का गतिरोध दूर हो गया है।
गोगरा से पहले गलवन, पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिण किनारे के अग्रिम मोर्चों से दोनों देशों ने अपने-अपने सैनिकों को पीछे हटाकर यहां बफर जोन बनाया था। अब एलएसी पर हाट स्प्रिंग और देपसांग इन दो इलाकों में भारत और चीन के सैनिक टकराव की स्थिति में तैनात हैं।
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