अक्टूबर की वर्षा ने बिगाड़ा फसलों का 'अर्थशास्त्र', खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका
नई दिल्ली, NOI :- उत्तर भारत में बीते कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश का असर अब खरीफ की फसलों पर दिखाई देने लगा है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान और हरियाणा में पिछले एक सप्ताह से हो रही बारिश के कारण किसानों को बहुत नुकसान हुआ है। खेतों में पानी भर गया है और तेज हवाओं के कारण खड़ी फसल गिर गई है, जिससे अनाज का नुकसान हो रहा है।
किसानों के सामने अपनी फसलों को बचाने का संकट पैदा हो गया है। फसलों को हुए नुकसान को देखते हुए खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी का अंदेशा है। राज्यों में भारी बारिश से सबसे अधिक नुकसान धान की फसल को पहुंचा है। उत्तर भारत के कई इलाकों में जहां धान की फसल तैयार हो गई है, वहां कटाई में दिक्क्त आ रही है।
फसलों को हुआ नुकसान
धान के अलावा मोटे अनाज जैसे बाजरा, सोयाबीन और दालों के अलावा कपास की फसल को भी भारी नुकसान पहुंचा है। आईएमडी के आंकड़ों से पता चलता है कि देश के दूसरे सबसे बड़े चावल उत्पादक उत्तर प्रदेश में अक्टूबर में अब तक 500 फीसदी अधिक बारिश हुई है।
भारतीय मौसम अनुसंधान संस्थान से जुड़े मौसम विज्ञानी आलोक मित्तल बताते हैं कि पिछले दो हफ्तों से गुजरात से लगायत उत्तरी और मध्य भारतीय राज्यों तक एक टर्फ लाइन बनी हुई है, जिससे उत्तर भारत के राज्यों में बेमौसम वर्षा हो रही है। बरसात के इस नए पैटर्न ने जून-सितंबर के बीच अधिक सक्रिय रहने वाले मानसून की अवधि बढ़ा दी है।
अनियमित मानसून ने बिगाड़ा गणित
इस साल देश में अनियमित मानसून देखा गया। जून-जुलाई के दौरान बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे कई धान उत्पादक राज्यों में बारिश नहीं हुई। और जब बाद में बारिश हुई तो 'का बरसा जब कृषि सुखाने' से भी बदतर स्थिति बन गई। हाल के दिनों में हुई तेज बारिश के बाद खेतों में पानी भर गया है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने अभी उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और बिहार में बारिश के जारी रहने की आशंका व्यक्त की है।
अहमदाबाद, गुजरात के प्लांट साइंटिस्ट डॉ दीपक आचार्य बताते हैं कि अतिवृष्टि के कारण मध्य भारत में मक्के की फसल बहुत खराब हुई है। इसके अलावा सब्जियों की बात करें तो टमाटर की फसल को बहुत नुकसान हुआ है। आलू की फसल की बुवाई शुरू नहीं की जा सकी है। यह स्थिति देश के लगभग हर उत्तरी राज्य की है। दीपक आचार्य ने कहते हैं कि जहां फसलें तैयार हो गई हैं, वहां कटाई के लिए किसान खेतों से पानी निकलने का इंतजार कर रहे हैं। क्योंकि गीली जमीन पर मशीन से या मजदूर लगाकर भी कटाई नहीं की जा सकती।
दाम में हो सकती है बढ़ोतरी
मंडी समिति प्रयागराज से जुड़े निखिल पाठक, जो थोक मार्केट में अनाज का कारोबार करते हैं, बताते हैं कि चावल, बाजरा और तिलहन के दाम अभी से बढ़ने लगे हैं। यही हाल रहा तो आगे दाम अधिक बढ़ने की आशंका है।वैश्विक खाद्य संकट के बीच अनाज के दाम बढ़ना एक नया संकट है। हालांकि भारत ने मई में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया और फिर खरीफ की बुवाई में कमी को देखते हुए चावल के शिपमेंट पर भी प्रतिबंध लगा दिया। लेकिन क्या इतना पर्याप्त होगा?
फिलहाल तो देश के पास अनाज का बफर स्टॉक है लेकिन फसलों को हुए भारी नुकसान को देखते हुए कुछ महीने बाद कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
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