चंडीगढ़, NOI :- बोले गए हर शब्द का मोल होता है। कुछ सस्ते हो सकते हैं तो कुछ महंगे, लेकिन निश्चित रूप से हर बोल की कीमत चुकानी पड़ती है। राजनीतिक संदर्भ में तो कभी-कभार यही बोल बहुत महंगे साबित होते हैं, यह पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की समझ में अब अवश्य आ रहा होगा। पिछले कुछ महीनों से हिमाचल प्रदेश और गुजरात में चुनाव प्रचार में आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और मान की जोड़ी जहां पंजाब में उनके सात माह के कार्यकाल में हुए ‘बदलाव’ के बड़े-बड़े दावे कर रही है, वहीं राज्य में उनकी घेराबंदी उतनी ही उग्र होती जा रही है।
हाल में सूरत में एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद राज्य में पांच फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदे जाने का दावा क्या किया, पंजाब की राजनीति में उबाल आ गया। पंजाब की विपक्षी पार्टियों कांग्रेस, भाजपा और शिरोमणि अकाली दल की ओर से सरकार विरोधी सुर तेज हुए ही, साथ ही संगरूर में बड़ी संख्या में इकट्ठा हुए भारतीय किसान यूनियन (उगराहां) से जुड़े किसानों ने मुख्यमंत्री के आवास के सामने ट्रैक्टर-ट्रालियां लगा धरना-प्रदर्शन आरंभ कर दिया है।

                                        jagran

किसान संगठन अड़ गए हैं कि जब तक केजरीवाल और मान की जोड़ी उन पांच फसलों की सूची उपलब्ध नहीं करवा देती, जिन्हें पिछले सात महीने में आप सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य देकर खरीदा है, तब तक मुख्यमंत्री के घर के बाहर से धरना नहीं उठेगा। इसी तरह पिछले महीने केजरीवाल-मान की जोड़ी ने आटो रिक्शा का सफर तो अहमदाबाद में किया, लेकिन उस आटो रिक्शा का शोर पंजाब तक सुनाई दिया।

अहमदाबाद में जन संवाद के दौरान जैसे ही आप दिग्गजों ने सरकारी नीतियों में किए बदलावों के चलते राज्य के आटो रिक्शा चालकों के जीवन में परिवर्तन का दावा किया, लुधियाना में आटो यूनियनों ने आप सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए विरोध में आवाज बुलंद करनी शुरू कर दी। वह आटो रिक्शा चालक, जिसके घर अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान ने पंजाब चुनाव से चार महीने पहले रात का खाना खाते हुए मीडिया की सुर्खियां बटोरी थीं, वही परिवार अब आप नेताओं के ‘आटो रिक्शा सफरनामों’ पर सवाल खड़े करते हुए गुजरात के लोगों को गुमराह न होने का आह्वान करने में जुटा है।

अब इसे संयोग कहें या दुर्योग कि हिमाचल प्रदेश के चुनावी जनसभाओं में भी इस जोड़ी के हर बोल की कीमत एक तरह से पंजाब में पार्टी को चुकानी पड़ रही है। हिमाचल प्रदेश में जनसभाओं को संबोधित करते हुए जितने आत्मविश्वास से मुख्यमंत्री मान ने पंजाब से भ्रष्टाचार पूरी तरह से खत्म होने का दावा किया, उतने ही तीखे और उग्र विरोध का सामना उन्हें अपने ही एक मंत्री फौजा सिंह सरारी की भ्रष्टाचार में कथित संलिप्तता को लेकर पंजाब विधानसभा के अंदर और बाहर करना पड़ा। कुछ ऐसी ही प्रतिक्रिया पंजाब की महिलाओं में उस समय देखने को मिली, जब पालमपुर में दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने घोषणा कर दी कि हिमाचल प्रदेश में आप की सरकार बनने पर 18 साल से अधिक उम्र की हर महिला को 1000 रुपये प्रतिमाह मिलेगा। खैर, इन महंगे-सस्ते बोलों का मोल टटोलने की प्रक्रिया चुनावी सभाओं की जुमलेबाजी तक ही सीमित रहती तो अच्छा था, लेकिन अब मंत्रियों एवं विधायकों से लेकर मुख्यमंत्री के कामकाज में भी ऐसी प्रवृत्ति का शामिल होना एक बड़ी चिंता का विषय बन गया है।

यह इसी का नतीजा था कि मुख्यमंत्री मान द्वारा जर्मनी यात्रा के दौरान म्यूनिख स्थित एक कार (बीएमडब्ल्यू) निर्माता कंपनी के मुख्यालय के दौरे का ब्योरा देती एक विज्ञप्ति जारी कर दी गई। इससे मुख्यमंत्री समेत पूरी सरकार को राष्ट्रीय स्तर पर उस समय बड़ी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा, जब बीएमडब्ल्यू ने आधिकारिक बयान जारी कर मुख्यमंत्री के दावों को झुठलाते हुए पंजाब में किसी भी तरह के निवेश से इन्कार कर दिया। पंजाब के सेहत मंत्री चेतन सिंह जौड़ामाजरा के बोल किस तरह आए दिन सरकार के लिए नई मुश्किल पैदा कर रहे हैं, यह भी किसी से छिपा नहीं है।

इस बात में कोई शक नहीं कि सभी राज्यों में सरकारें अपनी घोषणाओं एवं दावों को बढ़ा-चढ़ा कर पेश करती हैं, लेकिन राजनीतिक कौशल तो यही कहता है कि नेताओं के दावे तथ्यपरक ही होने चाहिए। मुख से निकले बोल आपको ‘आ बैल मुझे मार’ वाली स्थिति में पहुंचा दें ऐसा तो बिल्कुल नहीं होना चाहिए। हालांकि यह भी एक सत्य है कि नेता अक्सर अपनी कही बातें भूल जाते हैं और याद करवाने पर भी कन्नी काटना अच्छी तरह जानते हैं, लेकिन डिजिटल फर्स्ट के इस दौर में अब सब वैसा नहीं है। जाने-अनजाने में भी ऐसे बिना तोले बोले गए बोल का असर जब वाट्सएप, ट्विटर, फेसबुक या यूट्यूब पर दिखाई देता है, तभी अहसास होता है कि वाकई में बोल कभी नि:शुल्क नहीं होते। इनकी कीमत चुकानी ही पड़ती है। कभी सस्ती तो कभी महंगी।

0 Comments

Leave A Comment

Don’t worry ! Your email address will not be published. Required fields are marked (*).

Get Newsletter

Advertisement