बच्चों को पैरेंट्स सिखाएं कई भाषाएं, रिसर्च के बाद जीएसवीएम मेडिकल कालेज के न्यूरो साइंस विभाग ने दी सलाह
एलएलआर अस्पताल में आते हेड इंजरी के मरीज
जीएसवीएम मेडिकल कालेज के एलएलआर अस्पताल की इमरजेंसी में नगर समेत आसपास के 17 जिलों के हादसों में घायल गंभीर मरीज इलाज के लिए भेजे जाते हैं। उसमें से हेड इंजरी के मरीज अधिक होते हैं, जिनका इलाज न्यूरो सर्जरी विभाग में चलता है। हादसे में सिर पर गंभीर चोट लगने से मरीज सुध-बुध खो देते हैं। इलाज के दौरान ठीक तो हो जाते हैं लेकिन, न बोल पाते हैं और न ही कुछ समझ पाते हैं।
80 मरीजों पर किया रिसर्च
मेडिकल कालेज के न्यूरो सर्जरी विभाग में ऐसे हेड इंजरी से उबरे 80 मरीजों पर दो साल तक रिसर्च किया गया। इसमें पता चला कि सिर पर गंभीर चोट (हेड इंजरी) लगने पर मस्तिष्क में आवाज सुनने-समझने और बोलने वाले सेंटर (ब्राडकास्ट) प्रभावित होते हैं, जिससे मरीज की याददाश्त चली जाती है। इस वजह से न ही वह बोल पाता है और न समझता है। सामने आया कि एक भाषा बोलने वालों की तुलना में बहुभाषियों की याददाश्त तेजी से वापस आती है, जो प्रमाणित करता है कि हर भाषा के लिए ब्रेन में अलग-अलग मोटर एरिया होते हैं।
कोरोना से प्रभावित हुआ रिसर्च
मरीजों की समस्या की मूल वजह जानने को न्यूरो सर्जरी विभाग में अगस्त 2019 में रिसर्च शुरू किया, जिसमें हेड इंजरी से उबरे 80 मरीज लिए, जिनकी यादाश्त चली गई थी। रिसर्च दो वर्ष में पूरा होना था लेकिन, कोरोना के चलते प्रभावित हुआ। सितंबर 2022 में पूरा हुआ है।
आवाज समझने व बोलने के दो सेंटर
न्यूरो सर्जरी विभागाध्यक्ष डा. मनीष सिंह के मुताबिक ब्रेन में दो सेंटर होते हैं। उसमें से एक सेंटर आवाज रिसीव करके समझ कर ब्रेन तक संदेश पहुंचाता है, जिसे वर्निके सेंटर कहते हैं। वहीं, दूसरा ब्रोकाज सेंटर, जिसके माध्यम से ब्रेन आवाज को समझने के बाद बोलकर जवाब देता है। हेड इंजरी में दोनों सेंटर गड़बड़ाने से ही दिक्कत होती है।
सबसे पहले बोलते हैं मातृभाषा
रिसर्च में 80 मरीज शामिल किए थे, उसमें से 10 पंजाबी, छह बांग्ला भाषी, चार दक्षिण भारतीय, 32 हिंदी व क्षेत्रीय भाषा जानने वाले और 28 एक भाषा ही जानते थे। इसमें पाया गया कि एक से अधिक भाषा जानने वालों की सभी भाषाएं चली गईं थीं लेकिन, सबसे पहले मातृभाषा बोलना व समझना शुरू किया। उनकी अपेक्षा एक भाषा जानने वालों की रिकवरी काफी विलंब से हुई।
हर भाषा का ब्रेन में अलग सेंटर
रिसर्च में यह निष्कर्ष निकला कि एक से अधिक भाषा जानने व बोलने वालों की याददाश्त तेजी से लौटती है। वहीं, एक भाषा बोलने वालों की याददाश्त खोने के बाद लौटती नहीं, आती है भी तो विलंब से। इससे यह प्रमाणित होता है कि ब्रेन में हर भाषा के सेंटर (ब्राडकास्ट) अलग-अलग होते हैं। इस वजह से बहुभाषियों की याददाश्त प्रभावित नहीं होती है।
Leave A Comment
LIVE अपडेट
राज्य
Stay Connected
Get Newsletter
Subscribe to our newsletter to get latest news, popular news and exclusive updates.






0 Comments
No Comments