इंदौर, NOI :- Tulsi Shaligram Vivah 2022: जहां भगवान शिव की पूजा लिंग के रूप में की जाती है, वहीं भगवान विष्णु की शालिग्राम के रूप में पूजा की जाती है। शहर के एरोड्रम रोड पर स्थित श्री श्री विद्याधाम मंदिर परिसर राज्य का एकमात्र मंदिर है जहां पर नेपाल की गंडकी नदी से लाये गए 12 हजार 500 शालिग्राम स्थापित हैं।

हर साल होता है शालिग्राम-तुलसी विवाह 


यहां प्रतिदिन इनका पंचामृत अभिषेक किया जाता है, इसके साथ ही पांच बार भोग भी लगाया जाता है। देवप्रबोधिनी एकादशी पर हर साल रीति-रिवाजों के साथ शालिग्राम-तुलसी विवाह भी किया जाता है।

जम्मू के मंदिर में है 1.25 लाख शालिग्राम पत्थर


श्री विद्याधाम आश्रम के ट्रस्टियों के अनुसार, यह अपनी तरह का दूसरा और राज्य का एकमात्र मंदिर है। ऐसा पहला मंदिर जम्मू के रघुनाथ मंदिर परिसर में स्थित है। जम्मू के मंदिर में 1.25 लाख शालिग्राम पत्थर हैं और इंदौर के मंदिर में साढ़े 12 हजार शालिग्राम हैं।

पेपर वेट के जैसा होता है आकार


इनका आकार एक पेपर वेट की तरह होता है। अब नेपाल सरकार ने उनके परिवहन पर प्रतिबंध लगा दिया है। इंदौर में शालिग्राम मंदिर का निर्माण 2015 में किया गया था। इंदौर के मंदिर में भगवान विष्णु की तीन फीट की संगमरमर की मूर्ति भी स्थापित की गई है। हर साल देवप्रबोधिनी एकादशी के दिन यहां भक्तों का मेला लगता है।

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शालिग्राम पत्थर काली गंडकी नदी के तट पर पाया जाता है


यह पत्थर नेपाल के गंडकी के तट पर पाया जाता है, जिसे काली गंडकी या गंडक के नाम से भी जाना जाता है। शालिग्राम भगवान विष्णु का देवता रूप है। स्कंद पुराण में उल्लेख है कि भगवान शिव ने भी शालिग्राम की पूजा की थी।

कार्तिक मास की शुक्ल एकादशी को भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप और तुलसी का विवाह होता है।

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