कानपुर IIT से NSI तक दहशत: पकड़ में नहीं आ रहा चालाक तेंदुआ, Girls Hostel के आसपास 4 बार देखा गया
IIT से NSI के बीच दस दिन से घूम रहा तेंदुआ
26 अक्टूबर की भोर आइआइटी के गार्ड ने हवाई पट्टी के पास पहली बार तेंदुआ देखा था। दोन दिन तक उसकी तलाश वन विभाग और संस्थान के सुरक्षा कर्मी ड्रोन और सीसीटीवी कैमरों से करते रहे थे। लेकिन कुछ पता नहीं चला था। स्कूलों में भी छुट्टी कर दी गई थी और छात्रों को हास्टल के अंदर रहने को कहा गया था।
दो दिन बाद तेंदुआ आइआइटी से जीटी रोड पार करके सामने राष्ट्रीय शर्करा संस्थान में पहुंच गया था, जिसे देखकर सुरक्षा कर्मी सहम गए थे। इसके बाद वो आइआइटी संस्थान से सटे इलाकों में घूमता दिखा था। अभी बीते दो दिनों से उसकी चहल कदमी नहीं दिखी लेकिन गुरुवार की शाम को फिर एनएसआई के कैमरे में नजर आया है। तेंदुआ दस दिन से आइआइटी और एनएसआई के बीच घूम रहा है।
पकड़ में नहीं आ रहा चालाक तेंदुआ
वन विभाग के कर्मियों की मानें तो तेंदुआ बेहद चालाक है। वह आइआइटी और एनएसआई कैंपस के कैमरों में बार बार नजर आ रहा है लेकिन पकड़ में नहीं आ रहा है। उसके रास्तों में हाईमास्ट लाइट लगाई गईं हैं लेकिन वो तेज रोशनी देखकर रास्ता बदल देता है और अंधेरे रास्ते से निकल जाता है।
शिकार की तलाश में घूम रहा तेंदुआ अबतक एक जंगली सुअर और नील गाय के बछड़े का शिकार कर चुका है लेकिन वन विभाग की टीम द्वारा बांधी गई बकरी को उसने छुआ तक नहीं है। पिंजरे से निकालकर खुले में बांधी गई बकरी को नुकसान पहुंचाये बिना वह निकल गया। इसी तरह उसके रास्ते पर जो जाल बिछाया गया था, वो उसके ऊपर से फांदकर निकल गया। इतना ही नहीं वह अबतक किसी भी पिंजरे के पास फटका तक नहीं है।
बेहद तेज है रफ्तार
तेंदुआ की रफ्तार इतनी तेज है कि सोमवार रात सवा दस बजे एनएसआइ में दिखा तो 11 बजे आइआइटी जा पहुंचा गया था। आइआइटी के सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि रात करीब 11 बजे वह संस्थान के जंगल में मुख्य गेट के पास पहुंचा था। वहां उसने जोर से दहाड़ लगाई तो सभी सुरक्षाकर्मी सतर्क हो गए। वन विभाग की टीमें भी ट्रैंकुलाइजर गन लेकर पहुंचीं और बकरी को खुले में बांधा। उसकी रफ्तार इतनी तेज थी कि वन कर्मी का ट्रैंकुलाइजर का निशाना चूक गया और उसे बेहोश नहीं कर सके।
एनएसआइ के गर्ल्स हास्टल के पास घूमता नजर आया
एनएसआइ में सोमवार की रात के समय तेंदुआ गर्ल्स हास्टल के पीछे की तरफ दिखने की जानकारी पर कैमरे लगवाए गए। बुधवार दोपहर वह एनएसआइ में फार्म नंबर तीन के पास नजर आया और फिर गुरुवार शाम सवा सात बजे गर्ल्स हास्टल के पास लगे कैमरे में कैद हुआ। वन विभाग की टीम ने कांबिंग शुरू की। गुरुवार रात 9.24 बजे और फिर शुक्रवार तड़के साढ़े तीन बजे वह फिर गर्ल्स हास्टल के कैमरे के सामने से गुजरते दिखा। रात साढ़े नौ बजे एक कर्मचारी अपने परिवार के साथ कैब से घर लौट रहे थे तो निदेशक आवास के पास बाउंड्री पर तेंदुआ बैठे देखा था। इससे पहले की वन कर्मी पहुंचते वह जंगल में जाकर छिप गया।
आइआइटी में था शोर तो एनएसआई को बनाया ठिकाना
दो नवंबर को आइआइटी में स्थापना दिवस समारोह के चलते काफी प्रकाश था और साउंड सिस्टम भी तेज आवाज में बज रहे थे। इसके बाद से तेंदुआ वहां नजर नहीं आया। माना जा रहा है आइआइटी में शोर के चलते उसने एनएसआई को ठिकाना बना लिया है। एनएसआई के जंगल में तेंदुआ को जाते हुए देखे जाने पर टीम ने कांबिंग की तो जंगली सूअर व नील गाय के बच्चे का क्षतविक्षत शव पड़ा मिला। इससे साफ है कि उसने भोजन के लिए दोनों को शिकार बनाया।
महीन धागे वाला जाल बिछाया
तेंदुए के आने जाने के रास्ते पर महीन धागे वाला जाल बिछाया गया है। साथ ही तेंदुए को बेहोश करने में इस्तेमाल होने वाली ट्रैंकुलाइजर गन के साथ दो निशानेबाजों को भी तैनात किया गया। शुक्रवार शाम सवा छह बजे वह सुरक्षा अधिकारी व वनकर्मी के पीछे से गुजरा। एनएसआइ के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया कि तेंदुआ संस्थान के जंगल में है। गर्ल्स हास्टल के पास के गन्ने के खेत से वह आता दिखा और आवास के सामने की तरफ जंगल में चला गया। सफाई कराने के साथ ही वहां रोशनी की व्यवस्था की गई है।
घने जंगल में रात में नहीं जा पा रहे वनकर्मी
तेंदुए को पकड़ने के लिए वन विभाग की टीमें दिन में कांबिंग करती हैं, लेकिन रात में जंगल के भीतर जाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। विभाग के पास ट्रैंकुलाइजर गन है, जिनकी मदद से जानवर को बेहोश किया जा सकता है। जो बख्तरबंद वाहन है, वह काफी बड़ा है और जंगल के अंदर नहीं जा सकता। छोटे वाहन नहीं हैं। आइआइटी और एनएसआई के आसपास जंगल इतना घना है कि अंदर वाहन नहीं जा सकते हैं।
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