Lehsunia Ratan: हर दोष से मुक्ति दिलाता है लहसुनिया रत्न, लेकिन ये लोग बिल्कुल न पहनें
नई दिल्ली, NOI : Lehsunia Ratan: रत्न शास्त्र के अनुसार, हर एक रत्न का अपना एक महत्व और लाभ होता है। इन्हीं रत्नों में से एक है लहसुनिया। इस रत्न को केतु का रत्न माना जाता है। माना जाता है कि कुंडली में केतु की स्थिति कमजोर है, तो इस रत्न को पहनना लाभकारी होगा। इसके साथ ही इस रत्न को पहनने से व्यापार, नौकरी में भी काफी लाभ मिलता है। बेहद चमकीला दिखने वाले इस रत्न के बीच में बिल्ली की आंखों की तरह बनावट होती है। इसी कारण इसे अंग्रेजी में 'कैट्स आई (Cats Eyes) कहा जाता है। रत्न शास्त्र के अनुसार इस रत्न को धारण करने से मानसिक, शारीरिक और आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है। जानिए किन लोगों के लिए फायदेमंद है लहसुनिया रत्न और किन लोगों को रहना चाहिए दूर।
किन लोगों को पहनना चाहिए लहसुनिया रत्न
- रत्न शास्त्र के अनुसार, अगर किसी जातक की कुंडली में केतु की स्थिति कमजोर है, तो वह इस रत्न को धारण कर सकता है। ऐसा करने से उसे हर तरह के डर से निजात मिल जाएगा।
- कुंडली में केतु की अंतर या महा दशा चल रही हो, तो लहसुनिया रत्न पहनना लाभकारी होगा।
- रत्न शास्त्र के अनुसार, वह लोग भी लहसुनिया रत्न को धारण कर सकते हैं जिनकी कुंडली में केतु प्रथम, तीसरे, चौथे, पांचवें, नौवें और दसवें भाव पर स्थित है।
- अगर कुंडली में केतु के साथ सूर्य है, तो वह भी इस रत्न को धारण कर सकते हैं।
- नजर दोष से बचने के लिए भी लहसुनिया रत्न धारण किया सकता है। अगर बच्चे को पहना रहे है, तो एक चांदी के लॉकेट में यह रत्न जड़कर पहना सकते हैं।
- अगर किसी जातक की कुंडली में केतु भाग्येश या फिर पांचवें भाव में है, तो लहसुनिया रत्न पहनने से लाभ मिलेगा।
- अगर किसी जातक को लगातार बिजनेस में घाटा हो रहा है, तो ज्योतिषी की सलाह लेकर लहसुनिया रत्न धारण किया जा सकता है।
ये लोग न धारण करें लहसुनिया रत्न
- रत्न शास्त्र के अनुसार, जिन जातकों की कुंडली में केतु द्वितीय, सप्तम, अष्टम या फिर द्वादश भाव में हो तो वह लोग न धारण करें।
- अगर किसी जातक ने पुखराज, मोती, हीरा या फिर माणिक्य पहना हुआ है, तो वह लहसुनिया रत्न बिल्कुल भी न पहनें। इसे इन रत्नों के साथ धारण करने से अशुभ फलों की प्राप्ति होगी।
- अगर आप भी लहसुनिया रत्न धारण करने की सोच रहे है, तो एक बार रत्न शास्त्र के एक्सपर्ट से अपनी कुंडली जरूर दिखा लें। इसके बाद ही इस रत्न को धारण करें।
- लहसुनिया रत्न धारण करते समय इस बात का ध्यान रखें कि इसमें चार या इससे अधिक धारियां ना हो।
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