मुंबई, NOI :- पात्रा चाल पुनर्विकास परियोजना (Patra Chawl redevelopment project) से जुड़े मनी लान्ड्रिंग मामले में शिवसेना (Shiv sena) सांसद संजय राउत (Sanjay Raut) की जमानत याचिका को लेकर मुंबई की पीएमएलए अदालत (Mumbai PMLA Court)  ने बुधवार को अपना फैसला सुनाते हुए जमानत मंजूर कर दी है।

गौरतलब है कि दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पिछले सप्ताह धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) से संबंधित मामलों की सुनवाई के लिए नामित विशेष न्यायाधीश एमजी देशपांडे ने आदेश सुरक्षित रख लिया था।

संजय राउत को जुलाई में किया गया था गिरफ्तार


प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने राज्यसभा सदस्य संजय राउत को इस साल जुलाई में उपनगरीय गोरेगांव में पात्रा चाल के पुनर्विकास के संबंध में वित्तीय अनियमितताओं में उनकी कथित भूमिका को लेकर गिरफ्तार किया था।

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बता दें कि संजय राउत इस समय न्यायिक हिरासत में है और मुंबई के आर्थर रोड जेल में बंद है। राउत ने अपनी जमानत याचिका दाखिल की थी जिस पर ईडी ने राउत की याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि उन्होंने पात्रा चाल पुनर्विकास से संबंधित मनी लान्ड्रिंग मामले में एक प्रमुख भूमिका निभाई।

जानें क्‍या है मामला


ईडी की जांच पात्रा चाल के पुनर्विकास और उनकी पत्नी और सहयोगियों से संबंधित वित्तीय लेनदेन में कथित वित्तीय अनियमितताओं से संबंधित है। बता दें कि गोरेगांव में सिद्धार्थ नगर, जिसे पात्रा चाल के नाम से जाना जाता है, 47 एकड़ में फैला हुआ है और इसमें 672 परिवार किराये पर रहते हैं।

गौरतलब है कि 2008 में, महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (MHADA), एक सरकारी एजेंसी, ने हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (HDIL) की एक सहयोगी कंपनी गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड (GACPL) को चाल के पुनर्विकास को लेकर एक अनुबंध सौंपा था।

जिसमें जीएसीपीएल को किरायेदारों के लिए 672 फ्लैट तैयार करते थे और इनमें से कुछ फ्लैट म्हाडा को भी देने थे। जबकि बाकी बची हुई जमीन निजी डेवलपर्स को बेची जा सकती थी। लेकिन बीते 14 वर्षों में किरायेदारों को एक भी फ्लैट नहीं मिला क्योंकि कंपनी ने पात्रा चाल का पुनर्विकास नहीं किया और ईडी से मिली जानकारी के अनुसार 1,034 करोड़ रुपए में अन्य बिल्डरों को भूमि पार्सल और फ्लोर स्पेस इंडेक्स (FSI) बेच दिया।

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