Places of Worship Act 1991: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को जवाब के लिए दिया समय, अब जनवरी में होगी सुनवाई
नई दिल्ली, NOI : पूजा स्थल अधिनियम (Places of Worship (Special Provision) Act), 1991 के कुछ प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई की गई। कोर्ट ने केंद्र को जवाब के लिए समय प्रदान किया है। अब मामले की सुनवाई अगले साल जनवरी में की जाएगी। बता दें कि इन याचिकाओं पर जवाब के लिए केंद्र ने समय मांगा था।
अधिनियम के कुछ प्रावधानों को दी है चुनौती
अधिनियम के खिलाफ याचिका देने वालों में से एक सुब्रमण्यम स्वामी की ओर से कहा गया कि उन्होंने पूरे अधिनियम को चुनौती नहीं दी बल्कि केवल 2 मंदिरों को इसके दायरे से बाहर रखने की मांग की है, इसलिए उनकी याचिका पर अलग से सुनवाई की जाए।
केंद्र ने जवाब के लिए मांगा था समय
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) और जस्टिस जेबी पारदीवाला (JB Pardiwala) ने केंद्र से 12 दिसंबर तक हलफनामा दायर करने को कहा और अगली सुनवाई के लिए जनवरी का समय निर्धारित किया है। केंद्र की ओर से सालीसीटर जनरल तुषार मेहता (Tushar Mehta) ने हलफनामा दायर कने के लिए और समय की मांग की है।
अनिल काबोत्रा (Anil Kabotra) ने पूजा स्थल अधिनियम 1991 की धारा 2, 3 और 4 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी। उन्होंने इसे धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन बताया।
दायर याचिका में कहा गया है, 'अधिनियम बनाकर केंद्र ने घोषित किया है कि पूजा स्थलों का चरित्र वैसा ही रखा जाएगा जैसा 15 अगस्त, 1947 को था और बर्बर आक्रमणकारियों व कानून तोड़ने वालों द्वारा किए गए अतिक्रमण के विरुद्ध अदालत में कोई मुकदमा या कार्यवाही नहीं होगी और ऐसी कार्यवाही समाप्त हो जाएगी। यह धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन है।' अनिल काबोत्रा (Anil Kabotra) की ओर से पूजा स्थल कानून की धारा 2, 3 और 4 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए कहा गया था कि यह धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन करती हैं। मामले में अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय की याचिका सहित कई अन्य याचिकाएं पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में हैं।
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