नई दिल्ली, NOI :- Violence In Relationship: देशभर में इन दिनों दिल्ली में हुए भयावह श्रद्धा हत्या कांड को लेकर सनसनी मची हुई है। अपने लिव-इन पार्टनर की हत्या के बाद उसके 35 टुकड़े करने की इस कहानी को जिस किसी ने भी सुना उसकी रूह कांप गई। आरोपी आफताब के इस दिल दहला देने वाले कांड ने सभी के मन में कई सवाल खड़े कर दिए हैं। सवाल कि कैसे कोई अपने चाहने वाले को इस तरह की भयानक मौत दे सकता है। कैसे किसी रिश्ते में गुस्सा और हिंसा इस हद तक बढ़ जाती है कि अंजाम यहां तक पहुंच जाता है। यह एक मनोवैज्ञानिक स्थिति है, जिसके बारे में हमने साइकोलॉजिस्ट मोनिका शर्मा से बातचीत की और ऐसी मानसिकता की वजह के बारे में जाना।

टूटती उम्मीदें


रिश्ते में गुस्से और हिंसा की सबसे मुख्य वजह होती है उम्मीदों का पूरा न होना। अक्सर किसी रिश्ते में लोग एक-दूसरे से कई तरह की इच्छाएं और उम्मीदें रखते हैं। लेकिन कई बार ऐसा होता है, जब आप या आपके पार्टनर इन उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाते हैं। ऐसे में रिश्ते में मौजूद यह अपूर्ण उम्मीदें अक्सर गुस्से और चिड़चिड़ाहट में बदल जाती है। ऐसे में रिश्ते में रहने की वजह से कई बार लोग मेंटल स्ट्रेस से भी जूझने लगते हैं। लगातार टूटती उम्मीदों की वजह से यह गुस्सा इस हद तक बढ़ जाता है कि कई बार हिंसा का रूप ले लेता और बाद में यह गुस्सा किसी बड़े अपराध की वजह बन जाता है।

धैर्य की कमी


आज के समय में हर कोई भागदौड़ में लगा हुआ है। इसी भागदौड़ की वजह से लोगों के पास अब समय और धैर्य दोनों की ही कमी होने लगी है। आज के दौर में लोग अपने जीवन में सब बहुत जल्दी हासिल करने की कोशिश में लगे हुए हैं। अपनी इसी कोशिश के बदौलत लोग न सिर्फ जल्दी खुशी हासिल कर लेते हैं, बल्कि रिश्ते में काफी जल्दी सामंजस्य भी बना लेते हैं। लेकिन ऐसे रिश्तों में अक्सर धैर्य की कमी रह जाती है। ऐसे रिश्ते में रहने वाले लोग न कुछ सीखना चाहते हैं, न एडजस्ट करना चाहते हैं और न ही दूसरे की बात को समझना चाहते हैं। ऐसे हालातों में रिश्तों में दरार आनी शुरू हो जाती है, जो आगे चलकर तनाव और गुस्से का रूप लेती है।

टीवी, वेब सीरीज और ऑनलाइन गेम्स का नकारात्मक प्रभाव


आज के समय में फिल्मों, वेब सीरीज और यहां तक कि गेम्स में भी हिंसात्मक और अपराध आधारित कंटेंट दिखाने का ट्रेंड सा बन गया है। फिल्मों और सीरीज में लगातार दिखाए जाने वाले ऐसे शोज ने लोगों के दिमाग में एक गहरी छाप छोड़नी शुरू कर दी है। यह फिल्में और सीरीज न सिर्फ लोगों को अपराध दिखाते हैं बल्कि अपराधियों को एक हीरो की तरह पेश कर उनका गुणगान भी करती हैं। मिर्जापुर, नारकोस, गैंग्स ऑफ वासेपुर, ब्रेकिंग बैड, यू, डेक्सटर जैसे शोज ऐसी ही अवधारणा के कुछ उदाहरण हैं, जिसमें न सिर्फ अपराध दिखाया गया है, बल्कि इसे अंजाम देने के तरीकों को भी करीब से बताया गया है। अगर लोग लगातार इस तरह के शोज देखते रहेंगे तो उनके मन में यह धारणा बन जाएगी कि रील लाइफ की ही तरह रियल लाइफ में भी हिंसा का सहारा लेना बिल्कुल सही है।

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