बलिया के सुरहाताल में प्रवासी परिंदों का हो रहा शिकार, सर्दियों के साथ चढ़ा अवैध कारोबार
ठंड में सुरहाताल की वादियां साइबेरियन पक्षियों के कलरव से गुलजार रहती हैं। विदेशी मेहमानों के आने का सिलसिला जारी है, यही वजह है कि इसे बर्ड सेंक्चुरी भी कहते हैं, लेकिन इस समय पक्षी पर वक्रदृष्टि रखने वाले शिकारी भी सक्रिय हो गए हैं जो बेजुबानों को कत्लेआम कर रहे हैं। हर बार की तरह इस साल भी पक्षियों का अवैध कारोबार बढ़ने लगा है। शिकारी कीट-पतंगों में जहरीला पदार्थ मिलाकर पक्षियों को अचेत कर देते हैं।
उनकी ऊंचे दामों पर बिक्री की जाती है। इस समय सुरहाताल क्षेत्र में लग्जरी गाड़ियों से लोग पक्षियों की खरीदारी के लिए पहुंच रहे हैं। पक्षियों के शिकार पर रोक लगाने में वन विभाग विशाल क्षेत्रफल में असहाय बना हुआ है। यहां निगरानी करना बहुत मुश्किल है। सुरहाताल में टीका, लालसर, जांघिल, सारस व अन्य पक्षी यहां आकर्षण का केंद्र रहते हैं, जिन पर शिकारियों की निगाहें हैं। यहां जिंदा पक्षी पांच सौ से छह सौ रुपये तक बिकता है।
वहीं मृत पक्षी की कीमत कम होती है। इन पक्षियों के मारने पर दंड का प्रविधान है। इसकी रखवाली के लिए काशी वन्य जीव प्रभाग वाराणसी द्वारा लोगों को रखा गया है लेकिन विशाल सुरहाताल में व्यवस्था नाकाफी साबित हो रही है। सबसे ज्यादा मैरिटार, कैथवली, बसंतपुर, शिवपुर, ओझा के डेरा की तरफ पक्षियों का शिकार किया जा रहा है।
बोले अधिकारी : सुरहाताल विशाल क्षेत्रफल में फैला है। इस समय गस्त बढ़ा दी गई है पक्षियों के शिकार जैसी कोई बात नहीं है। जिन इलाकों से शिकायतें आ रहीं हैं वहां जाकर जांच-पड़ताल की जाएगी। पक्षियों का शिकार करने वालों के खिलाफ विधिक कार्रवाई की जाएगी।
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