लखनऊ, NOI :- दिसंबर-जनवरी में नगरीय निकाय चुनाव होने के बाद बिजली महंगी करने की कवायद शुरू होगी। लगभग तीन वर्ष बाद बिजली की दरों में बढ़ोतरी की जाएगी। पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने अगले वित्तीय वर्ष 2023-24 के एआरआर (वार्षिक राजस्व आवश्यकता) संबंधी टैरिफ पिटीशन दाखिल करने के लिए उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग से दो माह की मोहलत मांगी है।

सरकार नहीं चाहती कि निकाय चुनाव से पहले बढ़ें ब‍िजली की दरें


  • नियमानुसार अगले वित्तीय वर्ष की बिजली की दरों के संबंध में टैरिफ पिटीशन 30 नवंबर तक ही आयोग में दाखिल हो जाना चाहिए लेकिन अबकी बिजली कंपनियों ने अब तक ऐसा नहीं किया है।
  • समय से पिटीशन न दाखिल कर पाने पर पावर कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक पंकज कुमार ने आयोग को पत्र लिखा है।
  • आयोग को तमाम कारण बताते हुए कहा गया है कि बिजली कंपनियां अभी अगले वित्तीय वर्ष के एआरआर का आकलन नहीं कर पा रही है।
  • ऐसे में टैरिफ पिटीशन दाखिल करने के लिए बिजली कंपनियों को लगभग दो माह का अतिरिक्त समय दे दिया जाए।
  • सूत्रों का कहना है कि पिटीशन न दाखिल करने के पीछे भले ही तमाम कारण गिनाए जा रहे हैं लेकिन एक बड़ा कारण नगरीय निकाय चुनाव भी है।
  • सरकार नहीं चाहती कि निकाय चुनाव से पहले बिजली की दरों संबंधी प्रस्ताव पर कोई चर्चा भी हो।
  • सरकार और आयोग की तैयारियों को देखते हुए निकाय चुनाव की अधिसूचना अगले सप्ताह तक जारी हो जाने की उम्मीद है।

भारी-भरकम वित्तीय संकट से जूझ रहीं ब‍िजली कंपनियां


चुनाव की प्रक्रिया दिसंबर के साथ ही अगले माह जनवरी तक चलेगी। सूत्र बताते हैं कि चुनावी प्रक्रिया पूरी होने के बाद बिजली कंपनियां, आयोग में टैरिफ पिटीशन दाखिल करेंगी जिससे अगले वित्तीय वर्ष में बिजली की दरों का बढ़ना तय है। गौरतलब है कि अंतिम बार वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव के बाद सितंबर में बिजली महंगी हुई थी। तब दरों में औसतन 11.69 फीसद का इजाफा किया गया था। पहले कोरोना और फिर विधानसभा चुनाव के मद्देजनर लगभग तीन वर्ष से बिजली की दरों में कोई बढ़ोत्तरी नहीं हुई है। हालांकि, भारी-भरकम वित्तीय संकट से जूझती कंपनियां चाहती हैं कि जल्द से जल्द बिजली की दरें बढ़ाने को आयोग हरी झंडी दे दे।

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