कानपुर, NOI :- सपा विधायक इरफान सोलंकी की मदद से शहर में रह रहे बांग्लादेशी नागरिक रिजवान मोहम्मद के संपर्क वाले भी अब पुलिस की रडार पर हैं। उससे जुड़े तमाम लोगों की सरगर्मी से तलाश हो रही है। दरअसल, पुलिस को अब तक इस बात का कोई ठोस सुबूत नहीं मिल पाया है कि रिजवान आखिर फर्जी दस्तावेज बनाकर भारत में बसने क्यों आया? उसकी मंशा क्या थी? अब पुलिस रिजवान से जुड़े रिश्तों की कड़ियों को जोड़कर साजिश की पूरी तस्वीर समझना चाहती है। कुल मिलाकर बांग्लादेशियों की अवैध रिहाइश से उठती साजिश का पर्दाफाश करने की ओर पुलिस अपने कदम आगे बढ़ा चुकी है।

पुलिस जांच में अब तक सामने आया है कि सपा विधायक ने जो प्रमाण पत्र बांग्लादेशी नागरिक रिजवान मोहम्मद को भारतीय होने का दिया था, उसका प्रयोग उसने आधार कार्ड को अपडेट करने में किया। पुलिस को 21 नवंबर 2021 को अपडेट हुए आधार कार्ड का आनलाइन स्क्रीन शाट मिल गया है। इसी दिन विधायक के प्रमाणपत्र के आधार पर रिजवान की पत्नी हिना का भी आधार कार्ड अपडेट किया गया। 

इसमें दोनों ने अपना पता इंपीरियल रेजीडेंस दर्ज कराया है। पार्षद मन्नू रहमान द्वारा इनका निवास प्रमाणपत्र जारी किया गया। अब पुलिस इस जांच में जुट गई है कि कहीं सपा विधायक इरफान सोलंकी, मन्नू रहमान या दूसरे जनप्रतिनिधि ने इसी तरह से किसी अन्य व्यक्ति को भी तो प्रमाण पत्र नहीं दिए। 

पुलिस के पास गुप्त सूचना है कि इस तरह के अन्य मामले भी महानगर में हैं और आने वाले दिनों में इनका पर्दाफाश हो सकता है। सूत्रों के अनुसार, इसमें सपा विधायक से जुड़े अन्य कारनामों को भी पुलिस सामने ला सकती है।

भारतीय नागरिकता पाने की पहली सीढ़ी है माननीयों का प्रमाणपत्र

अधिकारी भले ही इस बात का दावा करें कि जनप्रतिनिधियों की ओर से दिए गए ऐसे प्रमाण पत्रों को तवज्जो नहीं दी जाती लेकिन असलियत यह है कि इन्हीं प्रमाण पत्रों के जरिये विदेशी नागरिक भारतीय नागरिकता हासिल कर रहे हैं। बांग्लादेशी नागरिक रिजवान प्रकरण इसका ताजा उदाहरण है। इस तरह के मामलों में विदेशी नागरिक सबसे पहले निवास प्रमाणपत्र हासिल करता है। 

दस्तावेजों के साथ जनप्रतिनिधियों की ओर से जारी प्रमाण पत्र संलग्न होने पर विभागीय अधिकारी विश्वास के आधार पर बिना जांच किए ही निवास पत्र जारी कर देते हैं। इसके बाद धीरे-धीरे एक के बाद एक अन्य प्रमाण पत्रों को हासिल करने का रास्ता खुल जाता है। 

खुफिया इकाई पर सवाल रिजवान मोहम्मद मामले में खुफिया इकाई भी सवालों के घेरे में है। दो साल पहले शासन स्तर से संदिग्ध बांग्लादेशियों को लेकर जांच कर रिपोर्ट देने के लिए स्थानीय खुफिया इकाइयों से कहा गया था। तब दो महीने की जांच के बाद इकाइयों ने लिखकर दिया था कि शहर में कोई भी संदिग्ध बांग्लादेशी या रोहिंग्या नहीं रह रहा है। अब बांग्लादेशी नागरिक पकड़े जाने के बाद खुफिया जांच सवालों के घेरे में है।

आधार अपडेट में इनके प्रमाण पत्र को माना जाता है वैध


  • राजपत्रित अधिकारी ग्रुप ए व ग्रुप बी
  • ग्राम प्रधान
  • सांसद, विधायक और नगर निकाय के प्रमुख
  • तहसीलदार
  • प्रमाणित शैक्षिक संस्थान के प्रमुख 
  • ईपीएफओ अफसर
  • वरिष्ठ निरीक्षक, वार्डन, मेट्रोन, शेल्टर होम के प्रमुख

इन्होंने कहा…


निश्चित तौर पर यह गंभीर मामला है। पुलिस जांच कर रही है। इस बात की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है कि शहर में ऐसे और मामले नहीं हैं। पुलिस इस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है। 

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