कानपुर शहर में अवैध शहर: 26 साल में 2 से 250 झोपड़ियों का हो गया है बसेरा, 10 हजार में बनें झोपड़ी के मालिक
NOI, कानपुर: हर तरफ अवैध और कच्ची बस्तियां अपने पैर पसारती जा रही हैं। चाहे वो राजधानी लखनऊ हो या फिर प्रदेश के अन्य हिस्से। गुजैनी सी ब्लाक अवैध कच्ची बस्ती का भी कुछ यही हाल है, जिसकी नींव 26 वर्ष पहले दो मजदूरों ने रखी थी। लेकिन धीरे-धीरे काम की तलाश में अन्य जिलों व प्रदेशों से आए मजदूरों ने भी यहां अपना डेरा जमा लिया।
साल गुजरते गए और झोपड़ियों की संख्या भी बढ़ती चली गई। अब यहां 250 से ज्यादा झोपड़ियां और पक्के मकान बन चुके हैं। यहां रहने वाले लोग जगह-जगह झोपड़ी बनाकर मोटी रकम में इन्हें बेच रहे हैं। यही नहीं यह बस्ती अराजक तत्वों का भी अड्डा बन चुकी है। आसपास के लोग यहां शराब, गांजा, चरस आदि का नशा करते हैं और जुआ खेलते हैं। पुलिस कई बार दबिश देकर इन लोगों को पकड़ चुकी है।
गुजैनी सी ब्लाक स्थित प्राइमरी विद्यालय के पीछे कुछ जमीन शिक्षा विभाग की है और केडीए का एक पार्क है। दाईं ओर विद्यालय से करीब 60 फीट की दूरी पर नहर गुजरती है। साल 1995 तक स्कूल के पीछे कालोनी के बच्चे खेलने आते थे। वर्ष 1996 में कालोनी में मजदूरी करने वाले दो लोगों रामसिद्ध सिंह और रामबाबू ने स्कूल के पीछे अपनी झोपड़ी बना ली। देखा-देखी में छत्तीसगढ़, बिलासपुर, बांदा और हमीरपुर से आए कई लोगों ने भी यहां झोपड़ियां बनानी शुरू कर दी।
वर्ष 2005 तक यहां 100 से ज्यादा परिवार झोपड़ी बनाकर रहने लगे और यह बस्ती गुजैनी सी ब्लाक की कच्ची बस्ती के नाम से जानी जाने लगी। धीरे-धीरे यहां लोगों ने मतदाता पहचान पत्र, राशन कार्ड भी बनवा लिया। पहले बिजली कनेक्शन इलाके का एक दलाल दिलाता था और बदले में रुपये वसूलता था। बाद में केस्को की छापेमारी हुई तो झोपड़ियों में मीटर लग गए, लेकिन बिजली चोरी अब भी जारी है।
दैनिक जागरण की पहल 'शहर में अवैध शहर' मुहिम के तहत जब टीम ने पड़ताल की तो, ग्राउंड रिपोर्ट में कई चौंकाने वाली बातें निकलकर सामने आईं।
10 हजार दो और आराम से झोपड़ी बना लो
झोपड़ी बनाने के लिए एक खाली जगह पर गड्ढा खोदना शुरू किया तो बस्ती के तीन-चार लोग आ गए। एक महिला बोली कि यह जगह मेरी है, आप कहीं और खोदाई करो। दूसरी झोपड़ी के पास गड्ढा खोदना शुरू किया तो एक अन्य ने आपत्ति जता दी। इसके बाद एक व्यक्ति ने कहा कि काहे इतना परेशान हो। 10 हजार रुपये में उस तरफ की जमीन खरीद लो और आराम से झोपड़ी बना लो।
बस्ती में चार हैंडपंप लगे हैं, जिनसे 250 परिवार पानी भरते हैं। अगर हैंडपंप खराब होता है तो चंदा कर उसे बनवा लेते हैं। शौचालय और स्नानघर के लिए लोगों ने दो गड्ढे बनाकर चारों तरफ से कपड़े और प्लास्टिक की बोरी से ढक रखा है।
8 से 10 झोपड़ियों के मालिक हैं ये लोग
पूछताछ के दौरान कुछ लोगों ने दबी जुबान में बताया कि बस्ती के करीब छह लोग ऐसे हैं, जिन्होंने आठ से 10 जगहों पर अपनी झोपड़ी बना रखी है। वह लोगों को झोपड़ी बेचते हैं और यहां से जाने वाले लोगों से उनकी जरूरत के अनुसार रुपये देकर झोपड़ी खरीद लेते हैं।
झोपड़ी बचाने के लिए बना लिया मंदिर
गुजैनी सी ब्लाक बस्ती में लोगों ने एक पेड़ के नीचे देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित कर मंदिर बना रखा है, ताकी अगर कोई भी विभाग अभियान चलाए तो मंदिर देखकर कार्रवाई न कर सके। गोविंदनगर कालोनी के विधायक सुरेंद्र मैथानी का कहना है कि, अवैध झुग्गी बस्तियां शहर के विकास में बाधक बनती हैं। फिर भी सरकार के निर्देश हैं कि गरीबों के सिर से छत का साया न जाए, इसलिए कोई बीच का रास्ता निकाला जाएगा।
वहीं वार्ड 55 गुजैनी के पार्षण अनिल वर्मा का कहना है कि, कालोनी में रहने वालों ने कुछ साल पहले अवैध बस्ती की शिकायत जिलाधिकारी से भी की थी, लेकिन बस्ती ऐसे हटाना ठीक नहीं है। जब तक वहां के लोगों को कहीं और रहने की जगह नहीं मिल जाए।
जानें इन झोपड़ियों का अर्थतंत्र-
झोपड़ियों की संख्या : 250
एक झोपड़ी की कीमत : 50 हजार से 3.50 लाख तक
सभी झोपड़ियों की कीमत : 1.25 करोड़ से 8.75 करोड़ तक
एक झोपड़ी का प्रतिमाह किराया : दो हजार रुपये
सभी झोपड़ियों का किराया : पांच लाख रुपये
बिजली एक झोपड़ी प्रतिमाह : लगभग 300 रुपये
सभी झोपड़ियों का बिजली का खर्च : 75 हजार रुपये
कहां जाता है पैसा?
-नगर निगम जोन-पांच
-विद्युत उपकेंद्र, रतनलाल नगर
लिखापढ़ी करवाओ, नया बिजली मीटर लगवा देंगे
नीरज ने बताया कि जिस हलफनामे पर मकान की लिखापढ़ी करवाओगे, उसी पर तुम्हारा नया बिजली मीटर लगवा देंगे। चिंता न करो। हम सब देख लेंगे। बस्ती के कुछ लोगों ने बातों ही बातों में बताया कि यहां मीटर तो ज्यादातर घरों में लगे हैं, लेकिन चिंता मत करो। यहां सब लोग कटिया लगाकर बिजली जलाते हैं। इसके लिए कई जगह तारें काटी गई हैं। पेड़ों की डाल से बिजली के तार बंधे हैं। उसी तार को काटकर उसमें कटिया लगा दिया जाता है। इससे मीटर का बिल न के बराबर रहता है। यही कुछ 300 रुपये महीने।
इंटरलाकिंग सड़क और पेयजल लाइन भी पड़ी
बस्ती में ही सिंचाई विभाग की जमीन पर बने अवैध पक्के मकानों के सामने से इंटरलाकिंग सड़क और पीने के पानी की पाइप लाइन गुजरी है। यहां ट्रांसफार्मर के पास दीवार पर एक शिलान्यास पत्थर भी लगा है, जो सांसद सत्यदेव पचौरी के नाम का है। इसमें वर्ष 2020-2021 में इंटरलाकिंग और नाली निर्माण कार्य का नगरीय अल्प विकसित व मलिन बस्ती विकास योजना के अंतर्गत शिलान्यास लिखा है।
निकाय चुनाव में प्रत्याशी को जिताने का दावा कर होती है वसूली
गुजैनी सी ब्लाक की कच्ची बस्ती के लोग वैसे तो सबसे भइया और साहब कहकर बात करते हैं, लेकिन जैसे ही चुनाव आता है तो यहां के लोगों का व्यवहार भी बदल जाता है। वह पहले से ही जान लेते हैं कि कौन-कौन प्रत्याशी बन रहा है। फिर उससे बस्ती के कुछ प्रभावी लोग चुनाव जिताने का दावा कर वसूली करते हैं। चुनाव से महीनेभर पहले ही शराब से लेकर कबाब तक की व्यवस्था इन लोगों को होती है। इस बस्ती में 1500 से ज्यादा मतदाता हैं।
केडीए के मकान आवंटित फिर भी रह रहे झोपड़ी में
दैनिक जागरण की टीम ने पड़ताल की तो पता चला कि बस्ती में रहने वाले कई लोगों के नाम कालोनी में केडीए का मकान आवंटित है। इसके बावजूद ये लोग यहां झोपड़ी और पक्के घर बनाकर रह रहे हैं। वहीं, कुछ लोगों ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि पुलिस विभाग के एक परिवार का भी यहां पक्का मकान है, जिसे वह मोटी रकम लेकर बेच रहा है।
तख्त भर की जमीन 10 हजार और झोपड़ी की कीमत 50 हजार
बस्ती के लोगों ने बताया कि यहां एक तख्त भर की जमीन है, जो 10 हजार रुपये में मिल जाएगी। अगर झोपड़ी बनी हुई चाहिए तो 50 हजार रुपये देने होंगे। इससे कम में झोपड़ी नहीं मिलेगी। किराये पर झोपड़ी की बात पूछी तो बताया गया कि वैसे तो कोई झोपड़ी खाली नहीं है लेकिन अगर किसी की खाली हुई तो बता देंगे। किराया दो हजार रुपये देना होगा। बिजली का 10 रुपये यूनिट अलग से लगेगा।
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