उदयपुर, NOI :- जैन धर्म के तीर्थराज सम्मेद शिखर को पर्यटन मुक्त करने शत्रुंजय गिरी को असामाजिक तत्वों से मुक्त रखे जाने की मांग को लेकर देह त्याग करने वाले दिगंबर जैन मुनि सुज्ञेय सागर उदयपुर जिले के थे।

गत 25 दिसम्बर से आमरण अनशन पर कर रहे मुनि सुज्ञेय सागर ने मंगलवार सुबह संल्लेखना पूर्वक देह त्याग दी थी। जयपुर के आचार्य सुनील सागर के साथ संघस्थ सुज्ञेय सागर तीर्थराज सम्मेद शिखर को पवित्र तीर्थस्थल घोषित करने एवं गुजरात के शत्रुंजय पर्वत पालीताणा को असामाजिक तत्वों से मुक्त करने की मांग को लेकर आमरण अनशन पर बैठ गए थे।

उदयपुर जिले के झल्लारा गांव के थे सुज्ञेय सागर

मुनि सुज्ञेय सागर उदयपुर जिले के सलूम्बर तहसील के झल्लारा गांव के थे। उनका जन्म जैन परिवार के पृथ्वीराज खेड़ावत की पत्नी भूरी बाई के कोख से 11 नवम्बर 1951 को हुआ था। जन्म के बाद उनका नाम देवीलाल जैन रखा गया था। नौवीं तक पढ़े लिखे देवीलाल की रुचि आत्म साधना में थी और इसके चलते प्राकृताचार्य सुनील सागर से 6 दिसम्बर 2019 को उन्होंने बांसवाड़ा में मुनि दीक्षा ली थी।

त्याग दी थी शक्कर

मुनि दीक्षा लेते समय सुज्ञेय सागर ने शक्कर का त्याग कर दिया था। वह मध्यम सिंहष्क्रिडित तप साधना में जुटे हुए थे, जो 25 दिसम्बर 22 को ही पूरी हुई थी। इसी बीच सम्मेद शिखर तीर्थ प्रकरण को लेकर उन्होंने उपवास शुरू कर दिए और आमरण अनशन पर बैठ गए।

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