जोशीमठ, NOI :- Joshimath Sinking: भूधंसाव से जूझ रहे जोशीमठ से एक राहत भरी खबर है। जेपी कालोनी में फूटी जलधारा का प्रवाह निरंतर घट रहा है। शुरुआत में इस जलधारा से 550 लीटर प्रति मिनट (एलपीएम) पानी आ रहा था, जो शुक्रवार को घटकर 170 एलपीएम पर आ गया।

इस लिहाज से पिछले नौ दिन में पानी के प्रवाह में प्रति मिनट 280 लीटर की कमी आई है। इससे क्षेत्रवासियों के साथ विशेषज्ञ भी थोड़ा सुकून महसूस कर रहे हैं। विशेषज्ञ यह भी मान रहे हैं शीघ्र ही जलधारा का प्रवाह स्वत: बंद हो सकता है।

हालांकि, जलधारा के उद्गम यानी स्रोत से पर्दा अभी नहीं उठ पाया है। यह पता लगाने के लिए रुड़की स्थित राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान (एनआइएच) में पानी के नमूनों की जांच गतिमान है।

जेपी कालोनी में यह जलधारा बीती दो जनवरी को फूटी थी


जोशीमठ के सबसे निचले हिस्से में मुख्य नगर से करीब नौ किलोमीटर दूर बदरीनाथ हाईवे पर मारवाड़ी में स्थित जेपी कालोनी में यह जलधारा बीती दो जनवरी को फूटी थी। इससे चौबीसों घंटे मटमैला पानी निकल रहा है।

विशेषज्ञ जोशीमठ में हो रहे भूधंसाव का मुख्य कारण भी जमीन के नीचे पानी के रिसाव को मान रहे हैं। ऐसे में इस जलधारा के स्रोत का पता लगाने के लिए विशेषज्ञों के साथ तकनीक की मदद भी ली जा रही है। उधर, जेपी कंपनी के विशेषज्ञ चार जनवरी से जलधारा के प्रवाह का लगातार अध्ययन कर रहे हैं। हर आठ घंटे में जलधारा से निकल रहे पानी की मात्रा नापी जा रही है।

ऐसे घटा जलधारा का प्रवाह

  • चार जनवरी, 550
  • छह जनवरी, 540
  • 11 जनवरी, 245
  • 13 जनवरी, 170
  • (जलधारा का प्रवाह लीटर प्रति मिनट में है।)

एनआइएच में हो रही पानी के नमूनों की जांच


जोशीमठ में भूधंसाव के लिए स्थानीय लोग एनटीपीसी की तपोवन विष्णुगाड जलविद्युत परियोजना की निर्माणाधीन सुरंग को भी जिम्मेदार मान रहे हैं। पानी में मिट्टी, रेत आदि मिली होने की वजह से उनका आरोप है कि जलधारा से निकल रहा पानी इसी सुरंग का है।

जलधारा का सुरंग से कोई संबंध है या नहीं, इस आशंका के समाधान और जलधारा का स्रोत पता लगाने के लिए रुड़की स्थित राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान (एनआइएच) की दो प्रयोगशालाओं में जांच की जा रही है। इसके लिए एनआइएच ने जलधारा फूटने वाले स्थान, सुरंग के आसपास और जेपी कालोनी से पानी के कुल पांच नमूने लिए थे।

संस्थान की जल गुणवत्ता प्रयोगशाला में विज्ञानी पानी के नमूनों की गुणवत्ता की जांच कर रहे हैं, जबकि आइसोटोप प्रयोगशाला में पानी के स्रोत का पता लगाने के लिए जांच हो रही है। जांच रिपोर्ट दो-तीन दिन में आने की संभावना है।

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