दर्शन और राजश्री की शादी का गवाह बना भारत का 'संविधान', बिना पंडित व 7 फेरे के अनोखे अंदाज में हुआ विवाह
बैतूल, NOI :- वैसे तो आपने कई शादियां देखी होंगी और इसका लुत्फ भी उठाया होगा, लेकिन आपको एक ऐसी शादी के बारे में बताएंगे। जो अपने अनोखे अंदाज के लिए चर्चा का विषय बनी हुई है। दरअसल, मध्य प्रदेश के बैतूल शहर में वकील दर्शन बुंदेले और टीचर राजश्री अहिरे की शादी संपन्न हुई।
दूल्हा और दुल्हन ने संविधान की प्रस्तावना पढ़कर की शादी
इस शादी की सबसे अनोखी बात ये रही कि दूल्हा और दुल्हन ने स्टेज पर ही संविधान की प्रस्तावना को पढ़कर शादी की। हालांकि, इस शादी में न तो मंडप लगाया गया था और न ही पंडित और रस्में अदा की गई। बल्कि दूल्हा और दुल्हन ने संविधान की प्रस्तावना को पढ़कर एक-दूसरे के साथ शादी की कस्में खाई। दर्शन और राजश्री का कहना है कि प्रेम विवाह के लिए परिवार को मनाना उनके लिए चुनौती थी, लेकिन दोनों की खुशी के लिए परिवार मान गए।
लोगों ने की दूल्हा और दुल्हन की तारीफ
बता दें कि शादी के दौरान दूल्हा और दुल्हन ने संविधान की प्रस्तावना पढ़ने के बाद एक दूसरे को वरमाला भी पहनाई। समारोह में मौजूद दूल्हा और दुल्हन के इस अनोखे अंदाज में हुई शादी को देख वहां मौजूद हर किसी ने उनकी तारीफ की।
एक दूसरे को काफी समय से जानते हैं दर्शन और राजश्री
बताते चलें कि वकील दर्शन बुंदेले और टीचर राजश्री अहिरे के बीच काफी साल से प्रेम प्रसंग चल रहा था। हरदा के एक्सीलेंस स्कूल में हायर सेकंडरी क्लास की शिक्षिका राजश्री से 12 वर्ष पहले दर्शन की कॉलेज में दोस्ती हुई थी। इसके बाद दोनों मिलकर सामाजिक कार्य करने लगे। 12 साल बाद दर्शन और राजश्री ने विवाह करने का फैसला लिया। दर्शन बुंदेले और राजश्री अहिरे दोनों ही अलग जाति से आते हैं। उन दोनों ने अपने रिश्ते को शादी में बदलने का निर्णय लिया। दोनों ने समाज में एक सकारात्मक संदेश देने के लिए संविधान की प्रस्तावना के साथ शादी की।
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