नई दिल्ली, NOI : यूरोपीय संसद ने अंतिम कानूनी बाधा को दूर करते हुए 2035 तक पेट्रोल और डीजल कारों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के लिए मंगलवार को मतदान किया। यूरोपीय संघ के सदस्य राज्यों ने पहले ही कानून को मंजूरी दे दी है और संसद के सबसे बड़े रूढ़िवादी समूह एमईपी के विरोध के बावजूद औपचारिक रूप से इसे कानून में शामिल करने की तैयारी चल रही है।

प्रतिबंध के समर्थकों ने कहा है कि यह यूरोपीय कार निर्माताओं को एक स्पष्ट समय सीमा देगा। उनके पास अपनी पूरी फ्लीट को शून्य कार्बन उत्सर्जन वाले इलेक्ट्रिक वाहनों में बदलने का पूरा मौका होगा।

बैन होंगी पेट्रोल और डीजल वाली कारें

यूरोपीय संघ का ताजा कदम 2050 तक जीरो ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन वाली अर्थव्यवस्था बनने की महत्वाकांक्षी योजना का हिस्सा है। यूरोपीय संघ के उपाध्यक्ष फ्रैंस टिमरमन्स ने एमईपी को चेतावनी देते हुए कहा कि हम इलेक्ट्रिक गाड़ियों के उत्पादन में बहुत पीछे हो रहे हैं। अपने भाषण में उन्होने कहा कि मैं आपको याद दिला दूं कि पिछले साल से चीन अंतरराष्ट्रीय बाजार में इलेक्ट्रिक कारों के 80 मॉडल उतार रहा है।

क्यों हो रहा इस योजना का विरोध


विरोधियों ने तर्क दिया कि पेट्रोल और डीजल वाहनों के उत्पादन में इस तरह के नाटकीय कटौती के लिए उद्योग तैयार नहीं है और इस कदम से हजारों नौकरियां जोखिम में हैं। सेंटर-राइट यूरोपियन पीपल्स पार्टी के एक सदस्य एमईपी जेन्स गिसेके ने कहा कि इलेक्ट्रिक कारों को चलाना सस्ता है, यह केवल एक अवधारणा है। जर्मनी में 600,000 लोग आईसीई गाड़ियों के प्लांट में काम करते हैं।नौकरियां जोखिम में हैं।

विरोधियों का यह भी तर्क है कि संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे यूरोप के प्रतिस्पर्धियों द्वारा विदेशों में कार बैटरी का उत्पादन किया जाता है।


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