मुजफ्फरनगर, NOI : संजीव अभिनेता संजय दत्त का प्रशंसक था। उसने संजय दत्त की जीवा फिल्म देखी और अपना नाम जीवा रख लिया। संजीव के पिता ओमप्रकाश 1986 में मुजफ्फरनगर आ बसे और शहर कोतवाली क्षेत्र के प्रेमपुरी में डेयरी चलाते थे।


लखनऊ में पेशी के दौरान कचहरी में मारे गए संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा का चार राज्यों में आतंक था। इसी अप्रैल में संजीव, उसकी पत्नी पायल माहेश्वरी, सचिन अग्रवाल, अमित गोयल, अमित माहेश्वरी उसकी पत्नी अनुराधा माहेश्वरी, शैंकी मित्तल, पूर्व सभासद प्रवीण मित्तल व शुभम बंसल के खिलाफ नई मंडी कोतवाली में गैंगस्टर का मुकदमा दर्ज हुआ था।

इसमें से चार लोग जेल जा चुके हैं। जबकि पायल फरार है। एक साल पहले पायल ने प्रेमपुरी स्थित मकान को बेच दिया था और वह सोनिया विहार, करावल नगर दिल्ली में रहने लगी थी।

कई गैंगों से मिलाया था हाथ

जीवा ने भाटी गैंग, पुलिस कस्टडी से फरार चल रहे दो लाख के इनामी बदम सिंह उर्फ बद्दो, मुकीम काला, मुख्तार अंसारी जैसे लोगों से हाथ मिलाकर अपना गिरोह खड़ा किया था। पुलिस रिकार्ड के मुताबिक वर्तमान में जीवा के गैंग में 35 से ज्यादा बदमाश हैं, जो जीवा के जेल में जाने के बाद भी रंगदारी और लोगों का उत्पीड़न कर रखे थे।

इसका एक मुकदमा 16 अप्रैल को नई मंडी थाने में जीवा, उसकी पत्नी पायल समेत कई लोगों के खिलाफ दर्ज हुआ था। इसी मुकदमे में पायल फरार है। पायल रालोद से लड़ चुकी चुनाव जीवा ने राजनीति में आने की भी योजना बनाई थी, इसके तहत उसने वर्ष 2017 में पत्नी पायल को रालोद के टिकट पर सदर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ाया था।

पायल की जमानत जब्ज हो गई थी। पायल को मात्र पांच हजार वोट मिली थीं। सौतेली बहन बोली, गलत हुआ पटेल नगर निवासी जीवा की 60 वर्षीय सौतेली बहन निशा का कहना है कि 35 वर्ष से जीवा से उनका कोई संबंध नहीं है। 2017 के विधानसभा चुनाव में पायल वोट मांगने आई थी। जीवा की हत्या के बारे में निशा ने कहा, पता चला है कि जीवा की कोर्ट में हत्या कर दी गई, जो हुआ गलत हुआ |

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