नई दिल्ली, NOI : म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) शेयर बाजार में निवेश का सबसे आसान तरीका है। हालांकि, हर म्यूचुअल फंड के साथ निवेशकों को अपफ्रंट कमीशन और एक्जिट लोड कमीशन का भुगतान करना होता है। ये चार्जेस सीधे निवेशक की ओर से निवेशित राशि में से काटे जाते हैं।

क्या होता है अपफ्रंट कमीशन? (What is upfront commission)

अपफ्रंट कमीशन एक प्रकार का चार्ज होता है जो निवेशक की ओर से किसी भी म्यूचुअल फंड में पैसा जमा करने पर अदा किया जाता है। इसे भारत में आमतौर पर एट्री लोड के नाम से भी जाना जाता है और इसका भुगतान एजेंट को किया जाता है। बता दें, बाजार नियामक सेबी की ओर से अगस्त 2009 से एंट्री लोड को हटा दिया गया था। इसके बाद से भारतीय म्यूचुअल फंड अपफ्रंट कमीशन चार्ज नहीं करते हैं।

क्या होता है एक्जिट लोड? (What is Exit Load)

एक्जिट लोड एक फीस या कमीशन होता है जो एएमसी यानी म्यूचुअल फंड कंपनी की ओर से निवेशकों से लिया जाता है। हालांकि ये केवल तब ही निवेशकों से लिया जाता है, जब वे तय समय से पहले निकासी करते हैं। एक्जिट लोड हर म्यूचुअल फंड पर नहीं लगता है। ये केवल उन्हीं म्यूचुअल फंड स्कीमों में निवेशकों के लिया जाता है, जहां पर कभी भी पैसा निकालने की सुविधा होती है।

बता दें, आमतौर पर किसी म्यूचुअल फंड में निवेश करने के एक साल के बाद निवेशकों से एक्जिट लोड कमीशन नहीं लिया जाता है।

एक्जिट लोड कैसे कैलकुलेट करते हैं?

किसी भी म्यूचुअल फंड की ओर से एक्जिट लोड उस फंड की एनएवी (NAV) के आधार पर तय किया जाता है। म्यूचुअल फंड से निकाली गई राशि के आधार पर इसे कैलकुलेट करते हैं। आइए जानते हैं।

उदाहरण के लिए अगर किसी म्यूचुअल फंड में आपने 2,00,000 रुपये जमा किए हैं। इसका एक्जिट लोड एक प्रतिशत है। इस फंड की मौजूदा एनएवी 100 रुपये है तो आपको इस फंड की 2000 यूनिट्स मिलेंगी।

वहीं, मान लेते हैं कि जब आप एक्जिट करेंगे तो फंड की एनएवी 110 हो चुकी है। इस तरह आपके यूनिट्स की कीमत (2000*110) 2,20,000 रुपये हो चुकी है। ऐसे में एक प्रतिशत एक्जिट लोड होने के कारण 2,20,000 का एक प्रतिशत यानी 2,200 रुपये एक्जिट लोड के तौर पर देने होंगे। आपको 2,17,800 रुपये की राशि मिलेगी।

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