अपने बर्थडे पर घर आकर परिवार को सरप्राइज देना चाहते थे आशीष धौंचक, पढ़ें अनंतनाग में शहीद हुए मेजर की कहानी
तीन साल की मासूम बेटी के सिर से उठा पिता का साया
वे जींद में साले की शादी में शामिल होकर मई में ही ड्यूटी पर लौटे थे। आशीष मूल रूप से गांव बिंझौल के निवासी हैं, फिलहाल बलिदानी का परिवार सेक्टर-सात में किराये के घर में रह रहा है। उनका नया मकान टीडीआई में बन रहा है।
इसी मकान के गृह प्रवेश के लिए उन्होंने छुट्टी लेकर आना था। उनके पिता लालचंद एनएफएल से सेवानिवृत्त हैं। मां कमला गृहणी है। वहीं, मेजर आशीष की तीन साल की एक मासूम बेटी है। पत्नी का नाम ज्योति और तीन साल की बेटी का नाम वामिका है।
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तीन बहनों के इकलौते भाई थे मेजर आशीष
आशीष धौंचक माता-पिता के अकेले बेटे हैं। उनकी तीन बहनें अंजू, सुमन और ममता शादीशुदा हैं। तीन बहनों के इकलौते भाई के शहीद होने पर परिवार और गांव में मातम पसरा हुआ है। 23 अक्टूबर 1987 को जन्मे आशीष धौंचक वर्ष-2012 में सिखलाई रेजीमेंट सेना में भर्ती हुए थे।
उनकी तैनाती राजौरी, मेरठ और भठिंडा में रही। करीब ढाई साल पहले मेरठ से कश्मीर में उनकी तैनाती हुई है। शहर के लोग भी सूचना मिलने पर उनके घर पहुंच रहे हैं। बताया गया है कि आशीष धौंचक जिंदादिल और हंसमुख स्वभाव के थे। उनके मित्र उनका बड़ा सम्मान करते थे।
पंचतत्व में विलीन होंगे मेजर आशीष
मेजर आशीष धौंचक की शहादत की खबर सुनकर आज हर किसी की आंखे गमगीन हैं। उनके परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है। जानकारी के मुताबिक आज उनके पार्थिव शरीर का आज अंतिम संस्कार किया जाएगा।
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