कानपुर, NOI : घाटमपुर में रहने वाली 12 वर्षीय एक छात्रा ने आजादी की एक अनसुनी घटना के रहस्य से पर्दा उठाया तो पढ़ने और सुनने वालों ने भी तारीफ की है। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी छात्रा की प्रशंसा करते हुए बधाई दी है। छात्रा काव्या ने घाटमपुर के एक मंदिर में आजादी के एक दिन पहले हुए अंग्रेजों और ग्रामीणों के बीच संघर्ष को लेख के जरिए बयां करके आनलाइन प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पाया है। आजादी की अनसुनी दास्तान को सामने लाने के लिए छात्रा को मेल के जरिए प्रधानमंत्री की तरफ से बधाई भी मिली है।

जवाहर नगर पश्चिमी घाटमपुर निवासी किसान मन्नीलाल की बेटी और नवोदय विद्यालय की छात्रा 12 वर्षीय काव्या ने नेशनल बुक ट्रस्ट और भारत सरकार की तरफ से स्वतंत्रता दिवस पर आयोजित आनलाइन लेख प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था। लेख के जरिए काव्या ने बताया कि घाटमपुर के एक मंदिर में 14 अगस्त 1947 को अंग्रेज मौजूद थे। आजादी की ज्वाला चरम पर थी। यहां अंग्रेजों को आसपास के ग्रामीणों ने घेर लिया तो उन्होंने ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दीं। ग्रामीणों ने भी हिम्मत का परिचय देते हुए कुछ अंग्रेजों को मौत के घाट उतार दिया। इस लेख के मुताबिक, आजादी के जश्न में गम न हो, इसलिए इसे छिपाया गया और कभी यह घटना सामने नहीं आ सकी।

इसकी चर्चा आज भी कुछ पुराने लोगों की जुबां पर रहती है। वह इस पर और भी जानकारी जुटाने में लगी है और इस पर शोध भी करेगी। छात्रा ने बताया कि उसे मेल के जरिए प्रतियोगिता में प्रथम स्थान आने की जानकारी मिली है। प्रधानमंत्री व नेशनल बुक ट्रस्ट की तरफ से मेल पर बधाई संदेश आया है, जिसमें उन्होंने 12 वर्ष की लेखिका होने पर बधाई दी। इस प्रतियोगिता में 75 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था।

नियमों के चलते मंदिर की जानकारी रखनी है गोपनीय

घाटमपुर में यह मंदिर कहां पर है, यह जानकारी काव्या किसी को नहीं दे सकती है। नेशनल बुक ट्रस्ट की तरफ से उसे मना किया गया है। उसे ट्रस्ट की तरफ से 50 हजार प्रतिमाह स्कालरशिप छह माह के लिए मिलेगी। लेखन शैली के लिए तीन माह की ट्रेङ्क्षनग उसे बुक ट्रस्ट के लोग देंगे और इस पर किताब भी प्रकाशित होगी। इसका राष्ट्रीय युवा दिवस पर विमोचन किया जाएगा।

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