पानी व बिजली का संगम दिलाएगा वायरस और बैक्टीरिया से मुक्ति, आइआइटी के पूर्व छात्र ने बनाई मशीन
साधारण डिसइंफेक्टेंट से त्वचा पर असर
कोरोना महामारी से बचाव के लिए डिसइंफेक्टेंट का भरपूर इस्तेमाल किया जा रहा है। घर, दफ्तर, बाजार व माल सभी जगह इसका छिड़काव किया जा रहा है। यह कोरोना से सुरक्षा कवच देता है तो दूसरी ओर इसके दुष्प्रभाव भी दिखते हैं। कुछ लोगों की संवेदनशील त्वचा पर यह अपना असर छोड़ते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए डा. संदीप ने डीएन पटेल कालेज शहादा महाराष्ट्र से बीई (बैचलर आफ इंजीनियरिंग) के पूर्व छात्र विशाल पाटिल व यूडीसीटी इंजीनियरिंग कालेज जलगांव से नैनोटेक्नोलाजी से एमटेक के पूर्व छात्र नितिन चराटे ने मिलकर साल भर शोध के बाद पैथोगार्ड मशीन बनाई।
हाथ पास लाते ही होगा छिड़काव
सेंसर आधारित मशीन के पास हाथ ले जाते ही डिसइंफेक्टेंट का छिड़काव हो जाएगा। उन्होंने बताया कि प्रयोगशाला में परीक्षण में खरी उतरने के बाद अब इसे पुणे के सरकारी व निजी आफिस के अलावा माल व बड़ी दुकानों में लगाने की तैयारी है। इसके लिए उन्हें आर्डर मिल चुके हैं। डा. संदीप ने बताया कि पुणे के बाद उत्तर प्रदेश में भी सार्वजनिक स्थानों पर स्प्रे यूनिट लगाने की योजना है।
ऐसे तैयार किया डिसइंफेक्टेंट
विशाल ने बताया कि इस डिसइंफेक्टेंट को इलेक्ट्रानिक सर्किट से बनाया है। इस प्रक्रिया में पीने के शुद्ध पानी का इस्तेमाल किया गया है। एक निश्चित वोल्टेज के बीच पानी की इलेक्ट्रानिक सर्किट से क्रिया कराकर स्प्रे फार्म में इकट्ठा कर लिया जाता है। यह एक्टिवेटेड वाटर बन जाता है, जो बैक्टीरिया व वायरस मारने में सक्षम है।
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