अफगान संकट पर बाले अमेरिकी सीनेटर, धूर्त पाकिस्तान के कारण ही अमेरिका की अफगान नीति फेल हुई
वाशिंगटन, NOI: अमेरिका के एक प्रभावशाली सीनेटर ने काबुल पर तालिबान के कब्जे के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया है। सांसद ने कहा है कि धूर्त पाकिस्तान ही अफगानिस्तान की वर्तमान स्थिति के लिए जिम्मेदार है। पाक के कारण ही अमेरिका की अफगान नीति फेल हुई है। हिंसाग्रस्त देश में मौजूदा गंभीर मानवीय संकट पर चिंता व्यक्त करते हुए सीनेट की आर्म्ड सर्विस कमेटी के चेयरमैन जैक रीड ने कहा कि हम इस स्थिति में कैसे आए, इस पर कुछ भी कहना आसान नहीं है। इसके लिए वह 20 साल में उत्पन्न हुए विभिन्न कारणों को जिम्मेदार मानते हैं। इन हालातों के ठोस कारणों को अब जानना जरूरी हो गया है। अफगान संकट खुफिया और कूटनीति की विफलता के कारण भी पैदा हुआ है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने भरोसे को कायम करते हुए कार्य किया होता तो आज इन स्थितियों को नहीं देखना पड़ता।
आर्थिक मदद और हाथियरों की आपूर्ति को नजरअंदाज किया
इसके पूर्व फॉरेन पॉलिसी में अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ सी क्रिस्टीन फेयर ने लिखा था कि अमेरिका ने तालिबान को पाकिस्तान की आर्थिक मदद और हाथियरों की आपूर्ति को नजरअंदाज कर दिया। अब इसकी कीमत अफगानी लोग चुका रहे हैं। क्रिस्टीन फेयर ने लिखा कि पाकिस्तान और अमेरिका ने अफगान लोगों के साथ विश्वासघात किया है। 1990 में संयुक्त राज्य अमेरिका अफगानिस्तान से बाहर चला गया और पाकिस्तान को अफगानिस्तान के भविष्य का संरक्षक बना दिया। आज फिर वही गलती दोहराई गई। फेयर का कहना है कि जब तालिबान आने वाले समय में एक बार फिर अफगानिस्तान को आधुनिक इस्लामी आतंकवादी संगठनों के संचालन के आधार के रूप में बदल देगा, तो वाशिंगटन केवल खुद को दोषी ठहराएगा।
अमेरिका ने पाकिस्तान को उदारता के साथ काफी फायदा पहुंचाया
उन्होंने कहा कि अमेरिका ने पाकिस्तान को उदारता के साथ काफी फायदा पहुंचाया है। इससे तालिबान को सहायता और प्रोत्साहन मिला और अमेरिकी प्रयासों को कमजोर किया है। तालिबान के पीछे पाकिस्तान सबसे बड़ी ताकत है। पाकिस्तान की खुफिया और सैन्य प्रतिष्ठान के लगातार समर्थन के बिना तालिबान जैसा आतंकी संगठन एक प्रभावी लड़ाई करने वाले संगठन के बजाय सिर्फ उपद्रवी समूह होता। फेयर ने लिखा कि संयुक्त राज्य अमेरिका ने एक काम करने से दृढ़ता से इनकार कर दिया है जो वह बहुत पहले कर सकता था। पाकिस्तान में उन लोगों के खिलाफ प्रतिबंध लगाया जा सकता है, जो इस्लामी आतंकवादियों को हर तरीके से मदद करते हैं। पिछले 20 वर्षों के दौरान पाकिस्तान ने भारत और अफगानिस्तान में सक्रिय कई अन्य इस्लामी आतंकवादी समूहों की भर्ती, प्रशिक्षण और आपरेशन जारी रखा है। पाकिस्तान ने शीर्ष आतंकियों को राष्ट्रीय नायकों के रूप में पेश किया है।
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