अल्जाइमर एक ऐसी बीमारी है, जिसमें आपकी याददाश्त धीरे-धीरे खोने लगती है। इस बीमारी में दिमाग के वे सेल नष्ट होने लगते हैं, जो याद रखने, सोचने और समझने के लिए जिम्मेदार होते हैं। यह बीमारी जल्द पकड़ में न आए तो स्थिति इस हद तक पहंच सकती है कि व्यक्ति का नाम क्या है, कहां रहता है ये सारी बातें भी भूलने लगता है। इसलिए वक्त रहते इस बीमारी का पता लगाना बेहद जरूरी है। इसी कारण से अल्जाइमर के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए हर साल अल्जाइमर्स डे मनाया जाता है।

कब मनाया जाता है अल्जाइमर्स डे

हर साल 21 सितंबर को वर्ल्ड अल्जाइमर्स डे मनाया जाता है। साल 1994 में ‘अल्जाइमर डिसीज इंटरनेशनल’ के दस साल पूरे होने पर अल्जाइमर दिवस मनाना शुरू किया गया था। अल्जाइमर डिसीज इंटरनेशनल एक नॉन प्रोफिट संस्था है जो अल्जाइमर और डिमेंशिया के लिए काम करती है। इसकी स्थापना 1984 में हुई थी।

क्या है इस साल की थीम

इस साल अल्जाइमर्स डे की थीम है “नेवर टू अर्ली, नेवर टू लेट”। यह थीम डिमेंशिया से बचाव के लिए जल्द से जल्द अल्जाइमर के लक्ष्णों को पहचानने और उससे बचने के तरीकों को अपनाने पर जोर दे रही है। साथ ही यह इस बात पर भी जोर दे रही है कि जिन लोगों को यह बीमारी हो चुकी है, उनके लिए भी देर नहीं हुई है और वे अब भी इसे और बढ़ने से रोक सकते हैं। अल्जाइमर डे के जरिए अल्जाइमर और डिमेंशिया को ले कर चले आ रहे टैबू को खत्म करने की कोशिश की जा रही है।

अल्जाइमर के शुरुआती लक्षण क्या हैं?

  • अल्जाइमर के पहले लक्षणों में बातें भूलने लगना या बार-बार एक ही बात को पूछना शामिल है।
  • रोज के काम खुद से नहीं कर पाना। चीजें ऑर्गेनाइज करने में दिक्कत होना।
  • रंगों की पहचान करने में, दूरी का अंदाजा लगाने आदि में तकलीफ होना।
  • चीजें रख कर भूल जाना या उसे वापस नहीं ढूंढ पाना।
  • सोशल एक्टिविटीज में हिस्सा नहीं लेना या उनसे दूर भागना।

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