तेल कंपनियों को हो रहा है Petrol-Diesel में घाटा, क्या आपके शहर में बढ़ सकते हैं पेट्रोल-डीजल के दाम
इन नुकसान की जानकारी उद्योग के अधिकारियों ने दिया है। उन्होंने खुदरा कीमतों को जारी रखने के कारणों का विवरण देते हुए पेट्रोल-डीजल के नुकसान के बारे में बताया है।
बता दें कि इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL) भारत के लगभग 90 प्रतिशत ईंधन बाजार को नियंत्रित करते हैं।
इन्होंने 'स्वेच्छा से' पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस (एलपीजी) की कीमतों में बदलाव नहीं किया है। अब लगभग दो वर्षों से इन्होंने इनकी कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया है। ऐसे में जब इनपुट लागत अधिक थी तो घाटा हुआ और जब कच्चे माल की कीमतें कम थीं तो मुनाफा हुआ।
तेल की जरूरतों के लिए भारत आयात पर निर्भर
अंतर्राष्ट्रीय तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव जारी है। भारत अपनी तेल जरूरतों को पूरा करने के लिए 85 प्रतिशत आयात पर निर्भर है।
उद्योग के अधिकारियों ने बताया कि देश में इनकी कीमतें बेहद अस्थिर बनी हुई हैं। एक दिन इनकी कीमत बढ़ रही हैं और दूसरे दिन गिर रही हैं। इस वजह से तेल कंपनियां अपने पिछले घाटे की पूरी तरह से भरपाई नहीं कर पाया है।
उद्योग के एक अधिकारी ने कहा, ''डीजल पर घाटा हो रहा है। अब तेल कंपनियों को लगभग 3 रुपये प्रति लीटर का नुकसान हो रहा है। वहीं, पेट्रोल पर मुनाफा मार्जिन कम होकर लगभग 3-4 रुपये प्रति लीटर हो गया है।
ईंधन मूल्य संशोधन के बारे में पूछे जाने पर तेल मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इंडिया एनर्जी वीक के मौके पर बताया कि सरकार कीमतें तय नहीं करती है और तेल कंपनियां सभी आर्थिक पहलुओं पर विचार करके अपना निर्णय लेती हैं।
इसके आगे वह कहते हैं कि (बाजार में) अभी भी अस्थिरता है।
तेल कंपनियों के तिमाही नतीजे
इसके बाद अंतरराष्ट्रीय कीमतों में नरमी और सरकार द्वारा एलपीजी सब्सिडी देने से आईओसी और बीपीसीएल को 2022-23 (अप्रैल 2022 से मार्च 2023 वित्तीय वर्ष) के लिए वार्षिक लाभ कमाने में मदद मिली, लेकिन एचपीसीएल घाटे में रही।
तीनों कंपनियों ने पहली दो तिमाहियों (अप्रैल-जून और जुलाई-सितंबर) में रिकॉर्ड तिमाही आय दर्ज की, जब अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतें - जिसके मुकाबले घरेलू दरें बेंचमार्क हैं - एक साल पहले की तुलना में लगभग आधी होकर 72 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल हो गईं।
अगली तिमाही में अंतर्राष्ट्रीय कीमतें फिर से बढ़कर 90 अमेरिकी डॉलर हो गईं, जिससे उनकी कमाई में कमी आई।
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