वाशिंगटन, NOI: अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद वहां के हालात तेजी से बदल रहे हैं। इस बीच दहशत में वहां के लोगों में आक्रोश फूटने लगा है उसके खिलाफ विरोध-प्रदर्शन का दायरा बढ़ रहा है और लोग खुलकर तालिबान को चुनौती दे रहे हैं। अफगानिस्तान के स्वाधीनता दिवस पर राजधानी काबुल समेत कई शहरों में लोग राष्ट्रीय ध्वज लेकर तालिबान के खिलाफ बाहर निकले, उसके खिलाफ प्रदर्शन किए और कुछ जगहों पर तालिबानी झंडे को फाड़कर फेंक दिया। इस दौरान तालिबान आतंकियों की गोलीबारी में कई लोगों की मौत होने की भी खबर है।

आज नाटो की आपातकालीन बैठक 

अफगानिस्तान में पैदा हुए गंभीर संकट को लेकर नाटो ने आज आपातकालीन बैठक बुलाई है। इस अहम बैठक में वहां के हालात को लेकर विचार होगा। वहीं, नाटो के महासचिव जेन्स स्टोल्टेनबर्ग 30 देशों के सैन्य गठबंधन के विदेश मंत्रियों की आज होने वाली आपातकालीन बैठक की अध्यक्षता करेंगे, जिसमें अफगानिस्तान पर मुख्य रूप से चर्चा होगी। स्टोल्टेनबर्ग ने बुधवार को ट्वीट किया कि अफगानिस्तान पर अपने साझा रूख एवं समन्वय जारी रखने के लिए उन्होंने वीडियो कांफ्रेंस के जरिए आपातकालीन मीटिंग बुलाई है।

स्टोल्टेनबर्ग ने मंगलवार को पश्चिम समर्थित सुरक्षा बलों की तेजी से हुई हार के लिए अफगानिस्तान के नेतृत्व को जिम्मेदार ठहराया था, लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि नाटो को भी अपने सैन्य प्रशिक्षण कार्यक्रम की खामियों को दूर करना चाहिए।

अमेरिका ने 7000 लोगों को किया एयरलिफ्ट

एक अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि अमेरिका ने 14 अगस्त से 7,000 लोगों को एयरलिफ्ट किया है और जुलाई के अंत से 12,000 लोगों को निकाला है। अमेरिकी प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि काबुल हवाई अड्डे के आसपास 5,200 अमेरिकी सैनिक जमीन पर तैनात हैं। हवाई अड्डे पर अभी 6,000 लोग हैं, जिन्हें हमारी टीम द्वारा पूरी तरह से संसाधित किया गया है और जल्द ही वे विमानों में सवार होंगे।

आगे नेड प्राइस ने कहा कि हम अफगानिस्तान में जमीनी  स्थिति से वाकिफ हैं। पिछले 24 घंटों के भीतर 2,000 से अधिक यात्री सुरक्षित स्थानों पर पहुंचे। 

अमेरिका 22 हजार अफगानों को एयरलिफ्ट करेगा

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने वादा किया है कि वह उन 22 हजार अफगानों को अफगानिस्तान से सुरक्षित 'एयरलिफ्ट' करेंगे जो खतरा उठाकर अब तक अमेरिकी सरकार की मदद करते आए हैं। इनमें से बहुत से अफगान नागरिक तालिबानी रकावटों के कारण प्रांतों में ही फंसे हुए हैं और अभी भी काबुल तक नहीं पहुंच पाए हैं।

श्रीलंका के पूर्व पीएम ने किया तालिबान का विरोध

श्रीलंका के पूर्व प्रधान मंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने अफगानिस्तान में तालिबान के शासन को मान्यता देने के खिलाफ सरकार को आगाह किया है और काबुल के साथ संबंध तोड़ने की वकालत करते हुए कहा है कि किसी को पुनर्विचार करना चाहिए कि क्या देश को आतंकवाद को फिर से सिर उठाने में मदद करने वाली पार्टी के रूप में आगे बढ़ना चाहिए।

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