लक्ष्मण टीला मामले में मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका, कोर्ट ने पुनरीक्षण याचिका की खारिज; बढ़ाई गई मस्जिद की सुरक्षा
नृपेंद्र पांडेय ने बताया था कि मुगल शासक औरंगजेब ने लक्ष्मण मंदिर को तोड़कर उसके स्थान पर टीले वाली मस्जिद बनाई थी। लक्ष्मण मंदिर जब था तो वहां हिंदू धर्म के लोग पूजापाठ करते थे।
17 मई 2022 को ज्येष्ठ माह के पहले बड़े मंगल में वादी अपने अन्य साथियों के साथ वहां पूजा-अर्चना करने गया तो मुतवल्ली ने ऐसा करने से मना किया। चौक पुलिस ने भी रोका। इसके बाद नृपेंद्र पांडेय ने सिविल जज जूनियर डिवीजन पीयूष भारतीय के यहां वाद दाखिल किया था।
इस पर मुस्लिम पक्ष द्वारा लिखित आपत्ति दाखिल कर पोषणीयता के आधार पर वाद खारिज करने की मांग की गई। दोनों पक्षों को सुनने के बाद छह सितंबर 2023 को सिविल जज ने मूलवाद दर्ज कर अग्रेत्तर कार्यवाही करने का आदेश दिया था।
प्रतिवादी पक्ष ने जिला एवं सत्र न्यायाधीश के यहां सिविल पुनरीक्षण याचिका दाखिल की, जिसको सुनने के बाद न्यायालय ने उसे खारिज कर दिया। ऐसे कोर्ट में पहुंचा मामला इतिहास के साक्ष्यों के आधार पर टीले वाली मस्जिद लक्ष्मण टीला है और टीले पर शेषनाग टीलेश्वर विराजमान हैं।
2013 में दीवानी अदालत में वाद मित्र (जो ईश्वर के नाम से केस लड़ता है, क्योंकि भगवान निरंकार स्वयं केस दायर नहीं कर सकते, इसलिए ये भगवान की ओर से केस लड़ते हैं।) अलीगंज के अधिवक्ता डा.वीके श्रीवास्तव ने वाद दायर किया था। सुन्नी वक्फ बोर्ड को प्रतिवादी बनाया गया।
पैरवी कर रहे अधिवक्ता शिशिर चतुर्वेदी और संजय मिश्रा ने पूजन का अधिकार देने और टीले वाली मस्जिद का बोर्ड हटाने की अपील की है। उनका कहना है कि जब मामला विवादित है तो किसी का बोर्ड नहीं लगना चाहिए।
लक्ष्मण टीला मामले में न्यायालय के निर्णय का हिंदू महासभा के प्रवक्ता शिशिर चतुर्वेदी, प्रदेश अध्यक्ष ऋषि त्रिवेदी व अन्य ने स्वागत किया है। उन्होंने बताया कि लक्ष्मण टीला मामले में पूजा के अधिकार की सुनवाई के विरोध में दाखिल मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज किए जाने का स्वागत किया है। विश्वास जताया है कि लक्ष्मण टीला में भक्तों को पूजा का अधिकार के साथ भगवान राम के भाई लक्ष्मणजी को भी जल्द ही भवन मिलेगा।
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